Jharkhand:राज्यपाल ने मॉब-लिंचिंग विधेयक को वापस लौटाया

राँची।झारखण्ड राजभवन ने भीड़-हिंसा एवं भीड़-लिंचिंग निवारण विधेयक को वापस लौटा दिया है। इसमें कहा गया है कि सरकार इस विधेयक में भीड़ को सही तरीके से परिभाषित करे। इसके अलावा विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी प्रारूप में भी कई अंतर बताए गए हैं।इससे पहले राज्यपाल रमेश बैस ने इस पर विधि परामर्श लिया था। बताया गया है कि विधेयक में दो या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह को भीड़ कहा गया है। राजभवन ने इसी पर आपत्ति की है। साथ ही इसे सही ढंग से परिभाषित कर सुधार करने को कहा है। झारखण्ड विधानसभा ने पिछले साल 21 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के दौरान इस विधेयक पर अपनी स्वीकृति प्रदान की थी।इसमें प्रावधान किया गया कि किसी का सामाजिक या व्यवसायिक बहिष्कार करना भी भीड़ हिंसा कहलाएगा। दो या दो से अधिक लोगों द्वारा हिंसा करने पर इसे कानून की नजरों में भीड़ हिंसा माना जाएगा। इसमें किसी व्यक्ति की मौत होने पर दोषी को आजीवन कारावास और पांच से 25 लाख तक के जुर्माना की सजा का प्रवधान किया गया है।

भाजपा के नेताओं ने इस विधेयक में कई खामियां गिनाते हुए इसे स्वीकृति नहीं देने की मांग राज्यपाल से की थी।बता दें कि इससे पहले राज्यपाल ने झारखण्ड ने टीएसी की नियमावाली संबंधित फाइल सरकार को वापस कर दी थी। इसमें ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल के नियमावली में बदलाव का निर्देश दिया गया था। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि नियमावली कार्यपालिका के विपरीत है।टीएसी की नियमावली को संविधान की पांचवीं अनुसूची की भावना के खिलाफ और राज्यपाल के अधिकारों एवं शक्तियों का अतिक्रमण बताया गया। कहा गया कि टीएसी में कम से कम दो सदस्यों को नामित करने की शक्ति राज्यपाल के पास होनी चाहिए। यह भी कहा गया कि सरकार ने टीएसी की नई नियमावली तैयार करने के समय राज्यपाल से कोई परामर्श नहीं लिया।

error: Content is protected !!