दुर्गापूजा 2021:माँ का बोधन,आमंत्रण और अधिवास आदि अनुष्ठान किया गया,माँ दुर्गा का आभूषण के साथ शृंगार कर, उन्हें अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित किया गया
राँची।बंग समुदाय में शारदीय दुर्गा पूजा का धार्मिक अनुष्ठान सोमवार को शुरू हुआ।सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति केतारी बागान नामकुम ,दुर्गाबाटी मंदिर,देशप्रिय क्लब,हरिमति मंदिर, आनंदमयी मां आश्रम, नवयुवक संघ थड़पकना, बंगाली मंडप हिनू, साउथ ऑफिस पाड़ा, नॉर्थ आफिस पाड़ा,पीपी कंपाउंड में विधिविधान के साथ माँ की पूजा-आराधना की गई।
कोरोना गाइडलाइन के तहत श्रद्धालुओं को पूजा परिसर में प्रवेश नहीं दिया गया। सभी पूजा पंडालों में बंगाल से ढाकियों ने ढाक की गूंज से माँ दुर्गा के आगमन की मुनादी की। पंडालों में शंख ध्वनि और ढाक की आवाज गूंजती रही। मान्यता है कि ढाकी की गूंज से सभी नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक वातावरण बनता है। मान्यता यह भी है कि माँ दुर्गा शारदीय नवरात्र में कैलाश पर्वत से अपने मायके पृथ्वी पर आती हैं। उनके आगमन की सूचना ढाक बजा कर दी जाती है, ताकि श्रद्धालु उनके स्वागत के लिए तैयार रहें।
दुर्गाबाटी मंदिर में प्रधान पुरोहित शांतनु भट्टाचार्य ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कल्पारंभ का अनुष्ठान सुबह 8.45 बजे संपन्न किया। शाम को माँ दुर्गा का आभूषण के साथ शृंगार कर, उन्हें अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित किया गया। मां का बोधन, आमंत्रण और अधिवास आदि अनुष्ठान पूरा किया गया। वहीं, देशप्रिय क्लब में प्रधान पुरोहित दिलीप देवघड़िया ने बेलवरण का अनुष्ठान संपन्न कराया गया। पूजा में क्लब के पुरुष व महिला सदस्यों ने भी भाग लिया।केतारी बागान में पुरोहित लखिन्द्र शर्मा ने बेलवरण अनुष्ठान संपन्न कराया गया।
आज कोलाबऊ स्नान:
केतारी बागान में दुर्गा पूजा की सप्तमी तिथि को नवपत्रिका प्रवेश और कोलाबऊ स्नान की परंपरा है।पूजा समिति के लोगों ने बताया कि मंगलवार को सुबह 7 बजे स्वर्णरेखा नदी तट पर कोलाबऊ स्नान का अनुष्ठान किया जाएगा। इसमें निर्धारित संख्या में पूजा समिति के सदस्य शामिल होंगे। इसके बाद नवपत्रिका प्रवेश के साथ महासप्तमी की पूजा की जाएगी। श्रद्धालु पुष्पांजलि अर्पित नहीं कर पाएंगे।