#durga puja 2020:सिंदूर खेला के साथ महिलाएं माँ को दे रही है विदाई,महिलाएं माँ दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर,सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को सिन्दूर लगाई।
राँची।कोरोना महामारी में दुर्गापूजा सम्पन्न हो रही है।वहीं कुछ स्थानों पर परम्परा के अनुसार माँ दुर्गा विसर्जन के समय महिलाएं में सिन्दूर खेला खेल रही है।महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. इसके बाद सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को सिन्दूर लगाती हैं। इसे ही सिंदूर खेला कहा जाता है. सिंदूर खेला को मां की ख़ुशी ख़ुशी विदाई के रूप में मनाया जाता है।केतारी बागान पण्डाल में
सिंदूर खेला के वक्त विवाहित महिलाएं पान के पत्तों से मां दुर्गा के गालों को स्पर्श करते हुए उनकी मांग और माथे पर सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की लंबी आयु की मुराद मांगती है।इसके बाद महिलाएं मां को पान और मिठाई का भोग अर्पित करती है।इस साल कोरोना महामारी के चलते सिंदूर खेला उतना धूमधाम से नहीं मनाया जा रहा है।लेकिन परम्परा अनुसार महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाकर सिंदूर खेल रही है।केतारी बगान दुर्गा पूजा समिति पंडाल
450 साल पहले शुरू हुई थी परंपरा
दशमी पर सिंदूर लगाने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है।खासतौर से बंगाली समाज में इसका बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा साल में एक बार अपने मायके आती हैं और वह अपने मायके में 10 दिन रूकती हैं जिसको दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है. सिंदूर खेला कि रस्म पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में पहली बार शुरू हुई थी. लगभग 450 साल पहले वहां की महिलाओं ने मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा के बाद उनके विसर्जन से पूर्व उनका श्रृंगार किया और मीठे व्यंजनों का भोग लगाया. खुद भी सोलह श्रृंगार किया. इसके बाद मां को लगाए सिंदूर से अपनी और दूसरी विवाहित महिलाओं की मांग भरी. ऐसी मान्यता थी कि भगवान इससे प्रसन्न होकर उन्हें सौभाग्य का वरदान देंगे और उनके लिए स्वर्ग का मार्ग बनाएंगे।