#चीन की साजिश नाकाम:45 साल बाद भारत-चीन सीमा पर फायरिंग,भारतीय जवानों ने चीनी साजिश को नाकाम कर दिया है।
नई दिल्ली।भारत और चीन के बीच मई की शुरुआत से सीमा पर गतिरोध जारी है। अब एक बार फिर दोनों देशों के रिश्तों में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। इसकी वजह है चीन की लद्दाख में की गई कायराना हरकत। ड्रैगन ने सोमवार रात को जो किया वो बीते चार दशकों में कभी नहीं हुआ था। दरअसल, चीन ने बीती रात वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की। जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। हालांकि इस गोलीबारी में किसी को निशाना नहीं बनाया गया।
लद्दाख में बीती रात को क्या हुआ
रणनीतिक तौर पर अहम माने जाने वाले काला टॉप और हेल्मेट टॉप सहित पेंगोंग इलाके के कई हिस्सों पर भारतीय सेना का कब्जा है। यही वजह है कि चीन की सेना बौखलाई हुई है। अपनी इसी बौखलाहट के चलते चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) सोमवार रात को सीमा पर आगे बढ़ने लगी। इस दौरान भारतीय सेना ने वार्निंग शॉट (चेतावनी के लिए हवा में फायरिंग) दागे। इसके बाद चीन के जवान पीछे हटे। कुछ देर बाद ही सीमा पर हालातों को नियंत्रित कर लिया गया था।
चीन ने भारत पर लगाया आरोप
अपनी हरकतों से बाज न आते हुए चीन ने भारतीय जवानों पर ही एलएसी पार करने का आरोप लगाया है। मंदारिन भाषा में जारी किए गए बयान में चीन ने कहा कि भारत की तरफ से वार्निंग शॉट दागे जाने के बाद उसने मजबूरी में जवाबी कार्रवाई की। बयान में चीन का कहना है कि भारतीय सेना के जवानों ने उनपर पेंगोंग त्सो झील के दक्षिण तट के पास शेन्पाओ पर्वत क्षेत्र के पास गोलीबारी की।
जमीन पर हो रही बातचीत
पेंगोंग त्सो में सोमवार को पीएलए ने यथास्थिति को एकतरफा तौर पर बदलने की कोशिश की। मंगलवार सुबह शीर्ष भारतीय अधिकारियों ने बताया कि स्थिति तनावपूर्ण है लेकिन दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर एक दूसरे से बात कर रहे हैं। रेचिन ला पर पीएलए और भारतीय सैनिकों के बीच गतिरोध की स्थिति पैदा हुई।हालांकि इस वक्त यहां स्थिति नियंत्रण में हैं।
45 साल बाद LAC पर फायरिंग, जानिए 1975 में अरुणाचल के तुलुंग-ला में चीनी धोखे की कहानी
चीन और भारत के सैनिकों के बीच इस तरह की फायरिंग 45 साल पहले 1975 में हुई थी।तब भी चीन ने भारत को चकमा देने के लिए अपने सबसे पुराने और विश्वस्त हथियार ‘धोखेबाजी’ को ही चुना था.
चीनी हमले में शहीद हुए थे 4 जवान,1975 में चीनी सैनिकों ने घात लगाकर अरुणाचल प्रदेश के तुलंग ला में असम राइफल्स के जवानों पर फायरिंग की थी. इस घटना में भारत के 4 जवान शहीद हो गए थे।
चीन में भारत की राजदूत रह चुकीं निरुपमा राव ने अंग्रेजी वेबसाइट द हिन्दू को बताया है कि चीनी चालबाजी को याद करते हुए हमें 1967 याद आता है, और इसे ही हम दोनों देशों के बीच फायरिंग की आखिरी घटना मानते हैं. लेकिन ये तथ्यात्मक रूप से गलत है. 1975 में चीनी सेना ने धोखे से घात लगाकर हमारे जवानों पर हमला किया, इसमें हमारे 4 जवान शहीद हो गए.
20 अक्टूबर 1975 को चीन की धोखेबाजी भारत का कहना है कि 20 अक्टूबर 1975 को चीनी सैनिक घुसपैठ कर दक्षिण तुलुंग ला में भारतीय सीमा में आ गए थे, यहां से उन्होंने असम राइफल्स के जवानों पर घात लगाकर हमला किया. चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर गोलियां चलाईं.
इस बाबत एक भारतीय अधिकारी ने तब द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया था कि चीन ने घात लगाकर ये हमला भारतीय सीमा में घुसकर किया था. इस इलाके में भारतीय सेना कई सालों से पैट्रोलिंग करती थी.
इस घटना पर भारतीय सेना ने चीन के सामने कड़ी प्रतक्रिया जताई थी. चीन ने इस घटना को लेकर पहले तो इनकार किया लेकिन 3 नवंबर 1975 को चीन ने इस घटना को स्वीकार किया लेकिन फ्रांस के अखबार La Monde के मुताबिक चीन ने बड़ी बेशर्मी से इस घटना की जिम्मेदारी भारत पर डाल दी. चीन ने कहा कि उसके सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाई थीं.
अमेरिका ने भी की थी पुष्टि वीकीलिक्स द्वारा जारी किए गए अमेरिका के एक सरकारी केबल से भी इस घटना में भारत के स्टैंड की पुष्टि होती है. इस केबल के मुताबिक चीन द्वारा घात लगाकर किया गया ये हमला तुलुंग ला के दक्षिण में 500 मीटर की दूरी पर था. ये इलाका LAC पर भारतीय सीमा में स्थित था. इस केबल में भारतीय सेना के एक अधिकारी से अमेरिका ने कहा था कि चीन ने अपनी सेना की एक कंपनी को भारतीय सीमा में भेज दिया था. यहां पर चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में अपने पत्थर गाड़ दिए थे और इसे अपना क्षेत्र बताने की कोशिश की. यहीं से चीनी सैनिकों ने पैट्रोलिंग करने आए भारतीय सैनिकों पर हमला किया था.