नया विधानसभा भवन जलने के मामले में झारखंड सरकार, जिला प्रशासन और कांट्रेक्टर रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कटघरे में!
राँची। चार दिसंबर की रात झारखंड की बहुमत व जीरो टॉलरेंस वाली रघुवर सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि 465 करोड़ रुपये की लागत से बनी नई विधानसभा में आग लग गई. इस विधानसभा का उदघाटन 12 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. अगजनी की घटना के बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उसने झारखंड सरकार, जिला प्रशासन और कांट्रेक्टर रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को कटघरे में खड़ा कर दिया है. सवाल उठने लगा है कि क्या सबने मिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया था. अगर ऐसा है, तो यह बहुंत ही गंभीर मामला है.
ताजा तथ्य यह हैं कि विधानसभा भवन में अब तक आग से बचने के किसी तरह के उपाय नहीं किये गये थे. आग लगने पर बुझाने के लिए पानी की जरुरत पड़ती है. इसके लिए महत्वपूर्ण भवनों के छत पर एक पानी टंकी (संप) बनाया जाता है. विधानसभा भवन में भी संप बना हुआ है. जिसमें करीब 2 लाख लीटर पानी स्टोर किया जा सकता है. आगलगी की घटना के बाद पता चला है कि इस संप में अब तक पानी भरा ही नहीं गया. वह सूखा हुआ था.
छत पर बने संप का कनेक्शन हर फ्लोर पर कई जगहों पर दिया जाता है. साथ ही पाईप की व्यवस्था की जाती है. ताकि आग लगने की स्थिति में पाईप के जरिये पानी का इस्तेमाल किया जा सके. आग लगने की घटना के बाद पता चला है कि संप से कनेक्टेड कनेक्शन से पाईप को जोड़ा ही नहीं गया था.
गौर करने वाली बात यह है कि उदघाटन से पहले कंस्ट्रक्शन कंपनी ने अग्निशमन विभाग से एनओसी मांगा था. जांच के बाद अग्निशमन विभाग ने भवन को एनओसी के लायक नहीं माना था. कई आपत्तियां की थी. फिर इस शर्त पर एनओसी दिया था कि 11 सितंबर तक सभी तरह की आपत्तियों को दूर कर लिया जाये. कंपनी ने इस बारे में अग्निशमन विभाग को लिख कर दिया था कि वह 11 सिंतबर तक सभी तरह की आपत्तियों को दूर कर देगा. आज की तारीख तक अधिकांश आपत्तियों को दूर नहीं किया है.
इससे साफ है कि प्रधानमंत्री के आगमन से पहले सरकार के अफसरों और कांट्रेक्टर ने अग्निशमन विभाग ने जो आपत्तियां की थी, उसे दूर किये बिना प्रधानमंत्री का कार्यक्रम करवा दिया. अब तक यही बताया जा रहा है कि आग लगने की घटना शॉर्ट-सर्किट की वजह से हुई है. अगर यह सच है तो शॉर्ट सर्किट तो कभी भी हो सकता है. उदघाटन समारोह के वक्त भी. तो क्या सरकार की उपलब्धि बताने और जल्दबाजी में अफसरों व कॉट्रेक्टर ने प्रधानमंत्री तक की सुरक्षा को ताक पर रख दिया था.
फायर डिपार्टमेंट ने सशर्त एनओसी दिया, लेकिन शर्त पूरी नहीं की गयी
पीएम मोदी के आने से पहले भवन विभाग की तरफ से फायर डिपार्मेंट की तरफ से एनओसी की डिमांड की गयी. लेकिन एनओसी लेने के लिए जो शर्त होने चाहिए थे, वो शर्त विधानसभा भवन पूरा नहीं कर रहा था. लिहाजा फायर डिपार्टमेंट की तरफ से ऐसे 16 काम बताए गए जिसे पूरा करना था. विधानसभा भवन की तरफ से कहा गया कि पीएम मोदी के आने से पहले किसी भी हाल में सारे 16 काम पूरे कर लिए जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन 16 शर्तों में से सबसे बड़ी शर्त यह थी कि भवन में हमेशा दो लाख की पानी की टंकी हो. वो हर वक्त भरा रहे. विधानसभा भवन में दो लाख की पानी की टंकी तो बना है. लेकिन वो 12 सितंबर को भी खाली थी और आग लगने वाले दिन भी खाली थी. ऐसे ही कई और शर्त थे जिसे पूरा नहीं किया गया. लिहाजा विधानसभा के भवन में अगजनी की घटना घटी.
सुरक्षा पर सवाल
बिना फायर डिपार्टमेंट के शर्त को पूरा किए एनओसी लेकर पीएम के प्रोग्राम को कराने के बाद अब सुरक्षा इंतजामों पर भी सवाल उठने लगे है. सवाल है कि आखिर क्यों पीएम मोदी के आने से पहले सारी पहलुओं की जांच नहीं की गयी. सवाल यह है कि क्या अफसरों ने एसपीजी के अंधेरे में रखा और कार्यक्रम होने दिया. या सवाल यह कि क्या सरकार की तरफ से ऐसा करने का दवाब था. जो भी हो इस बीच यह मुकम्मल हो गया कि पीएम की सुरक्षा इंतजामों को ताक पर रखते हुए मोदी से उद्घाटन कराया गया.