झारखण्ड विधानसभा नियुक्ति घोटाले की जांच सीबीआई करेगी, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला…
राँची।झारखण्ड हाईकोर्ट ने सोमवार बड़ा फैसला सुनाया है।हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने विधानसभा नियुक्ति घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला सुनाया। 20 जून को हुई सुनवाई में खंडपीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।आज अदालत ने फैसला सुनाया।
झारखण्ड विधानसभा नियुक्ति घोटाले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी। इसमें कहा गया था कि विधानसभा में अवैध नियुक्तियां की गयी हैं। खंडपीठ ने प्रार्थी और विधानसभा का भी पक्ष सुना।बाद में खंडपीठ ने जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय आयोग द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया था।लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार अदालत ने अपना फैसला सुना दिया।इस घोटाले की जांच अदालत ने अब सीबीआई को सौंप दी है।
झारखण्ड के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में 274 लोगों की नियुक्ति की गयी थी।स्पीकर आलमगीर आलम के कार्यकाल में 324 लोग नियुक्त किए गए थे। विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने गलत तरीके से लोगों को प्रोन्नत किया था। इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में एक जिला से 70 प्रतिशत लोग विधानसभा में बहाल किए गए थे।
आलमगीर आलम के कार्यकाल में नियुक्ति में पैसे लेन-देन का मामला सामने आया था। तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने जांच के आदेश दिए थे। पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस लोकनाथ प्रसाद ने इस मामले की जांच की।उसके बाद सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद को जांच का जिम्मा दिया गया। 2018 में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (वर्तमान में राष्ट्रपति) को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी।द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा को जांच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए भेज दी थी।
विधानसभा नियुक्ति घोटाले की जांच जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय आयोग ने की थी। आयोग ने राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की गयी।उस जांच रिपोर्ट को जांचने के लिए दूसरा आयोग बना दिया गया।