Ranchi:मुख्यमंत्री का आवास घेरने जा रहे प्राथमिक शिक्षकों को पुलिस बल ने मोरहाबादी मैदान में रोका…
राँची।अखिल झारखण्ड प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आवास घेरने जा रहे प्राथमिक शिक्षकों को पुलिस ने राजधानी राँची स्थित मोरहाबादी मैदान में ही रोक दिया।शनिवार को राज्य भर से प्राथमिक शिक्षक मोरहाबादी मैदान पहुँचे थे और वहां से मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने जा रहे थे।मैदान से कुछ ही दूर वे आगे बढ़े थे कि पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग करके आगे बढ़ने से रोक दिया।
अखिल झारखण्ड प्राथमिक संघ के बैनर तले चार सूत्री मांगों के समर्थन में प्रर्दशन कर रहे हैं।संघ के बिजेंद्र चौबे ने कहा कि इस प्रदर्शन को लेकर पहले ही सारी तैयारी की जा चुकी थी। पुलिस ने रूट भी तय कर दिया था।फिर भी आज हमें पुलिस ने क्यों रोका, हमें नहीं मालूम। कहा कि जब तक हमारी बात खुद मुख्यमंत्री नहीं सुनते, हम यहीं डटे रहेंगे। सरकार हमारे साथ हमेशा भेदभाव करती रही है।हमारी मांगें जायज है और इससे सरकार मुंह नहीं फेर सकती है।
वहीं मोरहाबादी मैदान में राके जाने पर प्रदेश अध्यक्ष राममूर्ति ठाकुर कहते हैं कि सरकार शिक्षकों से बच्चों को पढ़ाने के अलावा सब कुछ करवा लेती है। बाद में हमारी तुलना प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों से की जाती है। 4 शिक्षकों के सहारे एक स्कूल चलता है।बाद में उसी शिक्षक को चुनावी ड्यूटी के साथ-साथ और भी कई तरह के काम करवाती है। लेकिन, जब एमएसीपी देने की बारी आती है,तो शिक्षकों को अलग कर दिया जाता है। फिर भी हमसे यह उम्मीद की जाती है कि हम प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों की तरह पढ़ायें।इसके अलावा प्रदेश मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि हम अपना 100 प्रतिशत बच्चों को देना चाहते हैं, लेकिन सरकार यह नहीं चाहती।आज जब हम अपनी बात बताने आये हैं, तो सरकार हमसे मुंह फेर रही है। यहां हमें अपनी बात रखने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। जब तक खुद मुख्यमंत्री हमारी बात नहीं सुनेंगे, तब तक हम यहां से कहीं नहीं जायेंगे।यहां हमें अपनी बात रखने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
चार सूत्री मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं शिक्षक
–शिक्षकों के लिए संशोधित MACP की स्वीकृति मिलना
–2006 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों के छठे वेतनमान के आरंभिक वेतन विसंगति को दूर करना
–शिक्षकों के अन्तरजिला स्थानांतरण नियमावली में संशोधन करना
–शिक्षकों को अत्याधिक लिपिकीय कार्यों से मुक्त कर पठन-पाठन में कार्य के लिए स्वतंत्र करना