घाघीडीह जेल में विचाराधीन कैदी की हत्या मामले में 15 दोषियों को फांसी व 7 दोषियों को 10 साल की सजा
जमशेदपुर।अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार सिन्हा की अदालत ने जमशेदपुर के घाघीडीह जेल में बंद विचाराधीन बंदी मनोज सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार दिये गये 22 लोगों को सजा गुरुवार को सजा सुना दी है। इसमें 15 दोषियों को फांसी की सजा व सात को अजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है।जमशेदपुर कोर्ट का पहला मामला है,जब किसी बड़े मामले में सभी आरोपियों को सजा सुनायी गयी है। इनमें 15 को फांसी और सात को 10 साल की सजा सुनाई है।
हत्या करने में सजायाफ्ता कैदी बासुदेव महतो, रामेश्वर अंगारिया, गंगा खंडैत, अरुप कुमार बोस, रमाय करुवा, जानी अंसारी, अजय मल्लाह, पंचानंद पात्रो, गोपाल तिरिया, पिंकू पूर्ति, श्यामू जोजो, संजय दिग्गी, रामराय सुरीन, शिवशंकर पासवान, शरत गोप को फांसी की सजा सुनायी गयी है, जबकि हत्या की नीयत से हमला करने के मामले में दोषी करार दिये गये ऋषि लोहार, सुमित सिंह, संजीत दास, तौकीर, सौरभ सिंह, सोनू लाल और शोएब अख्तर उर्फ शिवा को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है।
बता दें घाघीडीह सेंट्रल जेल में 25 जून 2019 को मनीफिट निवासी व गैंगस्टर अखिलेश सिंह गिरोह के सदस्य मनोज सिंह की हत्या कर दी गयी थी।छह अगस्त को अदालत ने हत्या में 15, जबकि हत्या से पहले हमले में 7 लोगों को दोषी करार दिया था। इस मामले में मामले में अपर लोक अभियोजक राजीव कुमार ने पैरवी की।
क्या है घटना:
घाघीडीह जेल में 25 जून 2019 को टेलीफोन बूथ पर बात करने को लेकर अखिलेश सिंह गिरोह के हरीश सिंह और सजायाफ्ता कैदी पंकज दुबे के बीच विवाद हुआ था। इसमें हरीश सिंह गिरोह के सदस्य सुमित सिंह, मनोज कुमार सिंह, अविनाश श्रीवास्तव सहित अन्य लोग थे, उन्होंने पंकज दुबे की पिटाई कर दी।इस हमले के विरोध में सजायाफ्ता कैदियों ने हंगामा करते हुए हरीश सिंह गुट पर हमला कर दिया। हमले के दौरान मनोज सिंह भागकर जेल के आरुणि कक्ष के ऊपरी तल्ले में छिप गया। इसके बाद 15 सजायाफ्ता कैदी और चार कक्षपाल उसके अंदर घुस गए और मनोज सिंह की पीट-पीटकर हत्या कर दी।मनोज सिंह को जेल से एमजीएम अस्पताल लाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।इस मामले में हरीश सिंह पर अलग से केस चल रहा है।