झारखण्ड में कई कुख्यात नक्सली/उग्रवादी को मार गिराने और सलाखों के अंदर पहुँचाने में शामिल,तीन स्पेशलिस्ट एनकाउंटर बन्धु….
राँची।झारखण्ड के गुमला जिले में कभी एक पत्रकार के रूप में वामपंथी चरमपंथी गैंग के नेताओं से इंटरव्यू के लिए पूरे सप्ताह जंगलों में बिताते थे।अब उन्हीं के लिए वर्षों बाद,वह अभी भी जंगल में जाता है, हालांकि अब अलग कारण के लिए उन्हीं लोगों को पकड़ता है।जिनका उन्होंने कभी साक्षात्कार किया था।वहीं कभी आईएएस और आईपीएस बनने के सपने लेकर दिल्ली में रहकर तैयारी करने वाले दोनो युवक अब जंगल मे जाते हैं। 2016 में अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट
मिलिए तीन तिवारी बन्धुओं से कैसे तीनों ने गुमला,खूँटी और राँची जिले में अपनी पहचान बनाई है।गुमला जिले के रहने वाले प्रवीण तिवारी,नवीन तिवारी और नीरज तिवारी जो कि झारखण्ड पुलिस के जवान है।इन तीनों भाइयों की चर्चाएं हमेशा पुलिस और नक्सलियों में होते रहता है।जहाँ प्रवीण तिवारी राँची जिला बल में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं तो वही दो भाई नवीन और नीरज गुमला जिला पुलिस में अपने कार्यों से अलग पहचान बनाया है।
प्रवीण तिवारी जिन्होंने कम से कम 200 उग्रवादियों/नक्सलियों की गिरफ़्तारी में सक्रिय भूमिका निभाई है। 2009 में पुलिस में शामिल होने के बाद से, तिवारी कम से कम एक दर्जन सब-ज़ोनल और ज़ोनल कमांडरों को गिरफ़्तार करने के लिए माओवादियों के गढ़ों में निर्भीक छापेमारी का हिस्सा रहे हैं।उनमें से सबसे हाल ही में ज़ोनल कमांडर प्रसाद उर्फ अशोक लकड़ा हैं,उसके सिर पर 10 लाख का इनाम है।वहीं कई नामी नक्सली/उग्रवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया है।अभी राँची एसएसपी के स्पेशल टीम (क्यूआरटी) के प्रमुख है।प्रवीण तिवारी के बारे में बताया जाता है कि एसएसपी के निर्देश मिलते ही अपनी टीम को लेकर मिनटों में रवाना हो जाते हैं।चाहे परिस्थिति जो भी हो आगे हमेशा चट्टान की तरह खड़े रहते हैं
झारखण्ड के 24 जिलों में से कम से कम 16 जिलों में वामपंथी चरमपंथी सक्रिय था
नौकरी, हालांकि,जोखिम के बिना नहीं आती। तिवारी पिछले एक दशक में नक्सलियों/उग्रवादियों द्वारा कम से कम 8 हमलों से बच गए हैं। हालांकि, उनके एक रिश्तेदार उतने भाग्यशाली नहीं रहे हैं। साल 2015 में 10 जुलाई को माओवादियों ने उनके चाचा शैलेश तिवारी की हत्या कर दी और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को खत्म करने की धमकी दी,मगर उन्होंने उनका पीछा करना बंद नहीं किया। प्रवीण,नवीन और नीरज
प्रवीण तिवारी कहते हैं, जब तक वह जीवित है, राज्य पुलिस की सेवा करने का वादा करते हुए, तिवारी धमकियों से नहीं डरता है।”मैं अपने परिवार और अपने जीवन के जोखिमों से अवगत हूं, लेकिन इस मिशन में पीछे मुड़कर नहीं देखा है। मैंने पहले ही अपना जीवन राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।”प्रवीण तिवारी कहते हैं कि मैं उन सभी पुलिस अधीक्षकों का आभारी हूं जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया और मुझे यह भूमिका और जिम्मेदारी दी। मैं हमेशा उन्हें उनकी अपेक्षा से अधिक देने की कोशिश करता हूं।
प्रवीण तिवारी को उनके वीरतापूर्ण कार्यों के लिए झारखण्ड पुलिस की ओर से दो वीरता पुरुस्कार भी मिला।जो कि 2015 औए 2018 में दिया गया था।वहीं राष्ट्रपति पदक के लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार को भेजा है जो कि अभी पेंडिग है।कुंदन पाहन सहित कई बड़े नक्सलियों को सरेंडर कराने में भी प्रवीण तिवारी की बड़ी भूमिका रही है।
नवीन और नीरज को 2017 में झारखण्ड पुलिस की नौकरी मिली
कभी आईपीएस और आईएएस बनने की चाह रखने वाले नवीन और नीरज ने झारखण्ड पुलिस में जॉइन कर देश और राज्य की सेवा में लगे हैं।दोनों भाई अभी गुमला जिला पुलिस बल में तैनात हैं।बड़े भाई प्रवीण तिवारी की तरह ही दोनों भाई भी नक्सलियों /उग्रवादियों के लिए काल है।दोनों ने पुलिस में अलग पहचान बनाई है।इनामी नक्सली राजेश उरांव और लजीम अंसारी की मुठभेड़ में मार गिराने में दोनों भाई ने गुमला पुलिस के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।बताया जाता है कि जब दो दिन गुमला जिले में मुठभेड़ हुई थी तो एएसपी अभियान के नेतृत्व में दोनों भाइयों ने गजब का साहस का परिचय दिया है।माओवादी से करीब डेढ़ घन्टे तक लोहा लेते रहा आखिर में कुख्यात माओवादी को मार गिराया।नवीन तिवारी बताते हैं कि अपने जीवन में देश सेवा करना है।हमें अपने राज्य में सेवा करने का मौका मिला है तो पूरी तरह सेवा में लगा हूँ।बांकी बड़े अधिकारियों का विश्वास जितने की कोशिश करते हुए हमलोग आगे अपने कर्त्तव्य का पालन करते हुए कार्य कर रहे हैं।