Ranchi:राजधानी के सबसे हाई सिक्योरिटी जोन में पत्थलगड़ी करने पहुँच गया,पुलिस ने रोका और वापस भेजा
राँची।राजधानी राँची के हाईकोर्ट के पास उस वक्त अफरा-तफरी मच गई।जब करीब 200 लोग सफेद कपड़ों में हाई सिक्योरिटी जोन में स्थित हाईकोर्ट के पास जमने लगे।अचानक से पहुंचे इतने सारे लोगों को देख पुलिस-प्रशासन भी सक्रिय हो गई।हाईकोर्ट के गेट के एकदम सामने जैप बाउंड्री के पास पहुंचकर ये लोग पत्थलगड़ी करना चाहते थे।पत्थलगड़ी के लिए पत्थर भी लाया गया था।पुलिस ने सभी लोगों को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया।ये लोग खुद को पड़हा व्यवस्था से जुड़े कुड़ुख नेशनल काउंसिल के सदस्य बता रहे थे। झारखण्ड के पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रावधानों को लागू करने की मांग भी कर रहे थे।मौके पर चार जिलों के लोग पहुंचे थे,जिसमें पश्चिम सिंहभूम, गुमला, खूंटी और सिमडेगा के लोग शामिल थे। प्राप्त सूचना सूचना के अनुसार समर्थक कल राज्यपाल से मिलेंगे और फिर से पत्थलगड़ी का कर सकते हैं प्रयास।
3 घंटे तक प्रशासन से होते रही तू-तू मैं-मैं।तीन घंटे बाद लोग माने प्रशासन की बात।
अब राँची में पत्थलगड़ी का मुद्दा उठने लगा है। सोमवार को जिस तरह लोग हाइकोर्ट के पास पहुँचकर शिलापट्ट लगाना चाहते थे। जिसमें लिखा था कि राँची अनुसूचित क्षेत्र है और यहां शासन-प्रशासन नियंत्रण आदिवासियों के हाथ में होगा।
पत्थलगड़ी समर्थक जो पत्थर लेकर आये थे,उसमें क्या लिखा था (जो पत्थर में लिखा था उसका हिंदी अनुवाद)
1.(i) इस आदेश को शेड्यूल्ड एरिया ऑडर 2007 कहा जा सकता है।
(ii) इसे एक बार ही लागू किया जाएगा।
2.झारखण्ड राज्य के निम्न जिले शेड्यूल्ड एरिया के तहत आएंगे।राँची,लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, खरसावां, साहिबगंज, दुमका, पाकुड़ और जामताड़ा।
इन शेड्यूल्ड जिलों में लागू किये गए कानून मान्य हैं। राज्य के शासनात्मक शक्ति इन जिलों में मान्य नहीं है। शेड्यूल्ड जिलों में नागरिक के लिए राइट टू फ्रीडम मान्य नहीं है।
पथलगड़ी की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन का पूरा अमला मौके पर पहुंच गया। राँची के ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग ने लोगों को समझाने की कोशिश की। लगभग तीन घंटे तक प्रशासन और लोगों के साथ तीखी बहस होते रही। प्रशासन के सख्त रवैये के बाद वे लोग माने और शिलापट्ट को लगाए बिना वहां से लौटे।
पहड़ा व्यवस्था के तहत संचालित करने का अधिकार
शिलापट्ट लगाने आए धनुआ उरांव ने कहा कि राँची जिला झारखंड राज्य के 5वें अनुसूचित जिला में शामिल है। इसमें शासन- प्रशासन और नियंत्रण आदिवासियों के हाथ में हैं। आर्टिकल-13 के तहत यह अधिकार दिया गया है। यह क्षेत्र मुंडा और उरांव लोगों का है। मुंडा और उरांव का क्षेत्र पड़हा व्यवस्था स संचालित होता है। पड़हा व्यवस्था के तहत इस शिलापट्ट को लगाना चाह रहा था। लेकिन प्रशासन के कारण शिलापट्ट लगाने को स्थगित करना पड़ा था।
काउंसिल के धनेश्वर टोप्पो ने कहा कि आदिवासियों को संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत आदिवासी प्रशासन और नियंत्रण का अधिकार राष्ट्रपति द्वारा दिया गया है।साथ में संविधान आदेश -229 भी है, जो प्रधानमंत्री, लोकसभा, विधानसभा, सुप्रीम कोर्ट और राज्यपाल से भी बड़ा अधिकार क्षेत्र है। इसे काटने की क्षमता, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को भी नहीं है। इसे 71 सालों से छिपाकर रखा गया था,जिसका पर्दाफाश हो चुका है।
बात नहीं बनी तो होगा बड़ा प्रदर्शन
काउंसिल सदस्यों ने कहा कि संविधान प्रदत्त अधिकारों को लागू करने के मकसद से हमलोग हाईकोर्ट के सामने संविधान की पत्थलगड़ी करने पहुंचे थे।प्रशासन के मना करने पर हमलोग शांतिपूर्वक वापस आ गये।अब आदिवासी क्षेत्रों में पूरे शासन प्रणाली को आदिवासियों के हाथ में करना है।कहा कि आदिवासियों का मूलभूत अधिकार भारत में छोड़ कर विश्व के सभी देशों में लागू है, लेकिन ये मूलभूत अधिकार भारत को छोड़कर विश्व के सभी देशों में लागू है।जो हम सबों की अज्ञानता के कारण धरातल पर लागू नहीं हो सका है. काउंसिल सद्स्यों ने कल राज्यपाल से मुलाकात करने की बात कही है।कहा कि अगर बात नहीं बनी तो जल्द ही 50 हजार लोग राजधानी में आकर प्रदर्शन करेंगे।