आत्मनिर्भर भारत: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सेक्टर को मिलेगा 3 लाख करोड़ का गारंटी फ्री लोन
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के भारी भरकम पैकेज का एलान किया गया था। आज देश की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पैकेज के इस्तेमाल पर जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन के दौरान बताया था कि वित्त मंत्रालय सरकार द्वारा लिए गए फैसले और इसके खर्च के तरीकों पर जानकारी देगा। सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को मजबूती के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन देने का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्माल सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि MSMEs, कुटिर उद्योगों और गृह उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए छह नए कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि एमएसमई सेक्टर के लिए 4 हजार करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी दी जाएगी जिससे 2 लाख कंपनियों को फायदा होगा।
एमएसएमई और बिजनस के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के लिए कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन, 100% सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, कुटिर उद्योग और गृह उद्योग मिलकर 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं। इनके लिए 3 लाख करोड़ रुपये का कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन का प्रवाधान किया गया है। किसी को अपनी ओर से किसी तरह की गारंटी देने की जरूरत नहीं है। इसकी समयसीमा भी चार वर्ष की होगी। पहले एक वर्ष में मूलधन वापस नहीं करना पड़ेगा। 31 अक्टूबर, 2020 से इस स्कीम का फायदा उठाया जा सकता है। इस योजना का लाभ लेकर 45 लाख यूनिट बिजनस ऐक्टविटी दोबारा शुरू कर सकते हैं और उनके यहां नौकरियां बचाई जा सकती हैं।
एमएसएमई के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का सबॉर्डिनेट डेट
एनपीए वाले और स्ट्रेस्ड MSMEs को 20 हजार करोड़ रुपये का सबॉर्डिनेट लोन दिया जाएगा। इससे 2 लाख से ज्यादा यूनिट को लाभ मिलेगा।
एमएसएमई फंड ऑफ फंड्स के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये का इक्विटी इन्फ्यूजन
जो MSME अच्छा कर रहे हैं और वो बिजनस का विस्तार करना चाहते हैं, अपना आकार और क्षमता बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सुविधा नहीं मिल पा रही है, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स के जरिए फंडिंग मिलेगी।
बदली गई MSME की परिभाषा
MSME के हित में इसकी परिभाषा बदल दी गई है। ये बदलाव मैन्युफैक्चिरिंग और सर्विस, दोनों इडंस्ट्रीज पर लागू होंगे…
1 करोड़ रुपये तक निवेश करके 5 करोड़ तक का व्यापार करने वाली इंडस्ट्री सूक्ष्म. 10 करोड़ तक का निवेश और 50 करोड़ तक व्यापार करने वाली इंडस्ट्री लघु, जबकि 20 करोड़ तक का निवेश और 100 करोड़ रुपये तक का व्यापार करने वाली इंडस्ट्री मध्यम कहलाएगी।
5. 200 करोड़ रुपये के लिए ग्लोबल टेंडर की अनुमति नहीं
200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद में ग्लोबल टेंडर की अनुमति नहीं होगी। सरकार को घरेलू कंपनियों से टेंडर मंगवाने की बाध्यता होगी। इससे ‘लोकल के लिए वोकल’ के मंत्र को मजबूती मिलेगी। स्थानीय उत्पादों और सेवाओं
6. MSMEs को ई-मार्केट लिंकेज किया जाएगा।
ट्रेड फेयर में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास उनका बकाया है तो अगले 45 दिनों में बकाया भुगतान करवाने की कोशिश की जाएगी।