Jharkhand:बड़कागांव के चिरुडीह गोलीकांड मामले में दोषी कांग्रेस के दो पूर्व विधायक (पति-पत्नी) को मिली 10 साल की सजा
राँची।झारखण्ड के हजारीबाग जिले के बड़कागाँव में चर्चित चिरुडीह गोलीकांड मामले में दोषी पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक को राँची सिविल कोर्ट ने गुरुवार को सजा का ऐलान किया है। कोर्ट ने कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और कांग्रेस के पूर्व विधायक निर्मला देवी को 10 साल की सजा सुनाई है।इसके साथ ही अदालत ने दोनो पर क्रमशः 5- 5 हजार से अधिक का जुर्माना लगाया गया है।बता दें कि 22 मार्च को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी को चिरूडीह गोलीकांड में दोषी करार दिया था।
बता दें कि 8 मार्च को राँची सिविल कोर्ट के अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की कोर्ट में इस केस से जुड़े सभी बिंदुओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 22 मार्च को योगेन्द्र साव को दोषी करार दे दिया था। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने योगेंद्र साव के ऊपर लगे आरोपों को साबित करने के लिए 20 गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज करवाये हैं। जबकि आरोपी योगेंद्र साव, निर्मला देवी और अंकित राज की ओर से 7 गवाह प्रस्तुत किये गए है। योगेंद्र साव पर आईपीसी की धारा 307 समेत अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।
इधर पूर्व मंत्री की बेटी एवं बड़कागांव से कांग्रेस की वर्तमान विधायक अंबा प्रसाद ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील में जाएंगी। दोनों को साजिश के तहत फंसाया गया। कंपनियों की ओर से जमीनों की लूट के खिलाफ आवाज उठाने की सजा मिली है।
क्या है घटना
कफन सत्याग्रह आंदोलन के दौरान पुलिस पर हुआ था हमला।ये चिरुडीह कांड मामला साल 2016 का है,जब पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी स्थानीय ग्रामीणों के संग एनटीपीसी के द्वारा की जा रही भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कफन सत्याग्रह की गई थी।उस वक्त ग्रामीणों की झड़प पुलिस प्रशासन से हुई थी।जिसमें 4 लोगों की मौत हुई थी।उस मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी और पुत्र अंकित राज के खिलाफ बड़कागांव थाना में मामला दर्ज कराया गया था। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 20 गवाह प्रस्तुत किए गए. वही योगेंद्र साव खुद के बचाव में 22 गवाहों की सूची न्यायालय ने दी थी। जिसमे महज 7 गवाहों की गवाही करा पाई। इस मामले में योगेंद्र साव राहत के लिए निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में तीन बार गुहार लगाई।बावजूद इसके न्यायालय से जमानत नहीं मिली। पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने योगेंद्र साहू की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत को 3 माह के भीतर सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था।जिसके आलोक में राँची सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसके बाद सुनवाई पूरी करते हुए कोर्ट ने फैसला को सुरक्षित रख लिया था।