जल जीवन मिशन में ईडी का खुलासा:टेंडर वैल्यू का 10 प्रतिशत लिया जाता था कमीशन, मंत्री, सचिव, अभियंता व अन्य अधिकारियों के बीच बंटती थी राशि….

 

–गिरफ्तार रोकड़पाल संतोष कुमार ने ईडी को अपने दिए बयान में दी है जानकारी, 14 अक्टूबर 2024 को ईडी ने 18 ठिकानों पर की थी छापेमारी

राँची।पेयजल व स्वच्छता विभाग के जल जीवन मिशन में हुए 23 करोड़ से अधिक के फर्जीवाड़ा मामले में ईडी ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी की अप्रैल में आई एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि विभाग में जो टेंडर जारी होते थे, उन टेंडरों में 10 प्रतिशत कमीशन की राशि ली जाती थी। ली गई कमीशन की राशि विभागीय मंत्री, विभागीय सचिव, अभियंता व अन्य अधिकारियों के बीच व्यवस्थित तरीके से बांटी जाती थी। ये जानकारी ईडी को गिरफ्तार रोकड़पाल संतोष कुमार ने दी है। जिसे राँची पुलिस ने अप्रैल 2024 में गिरफ्तार किया था। रोकड़पाल संतोष कुमार पर आरोप था कि उसने ठेका एजेंसी लार्सन एंड टुब्रो के नाम पर पेई आईडी बनाकर मार्च 2020 में जल जीवन मिशन योजना की 2.71 करोड़ रुपए फर्जी बैंक खाते में ट्रांसफर कराए थे। संतोष कुमार के पास से पुलिस ने 51 लाख रुपए बरामद किए थे। इस मामले में सदर थाना में राँची पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसी प्राथमिकी को ईडी ने आधार बना कर नया ईसीआईआर दर्ज किया था। जिसके बाद ईडी ने जल जीवन मिशन में हुए फर्जीवाड़े मामले में 14 अक्टूबर 2024 को राँची, जमशेदपुर व चाईबासा में 18 ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी तत्कालीन विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर के भाई विनय कुमार ठाकुर, पूर्व विभागीय सचिव आईएएस अधिकारी मनीष रंजन, तत्कालीन मंत्री के निजी सचिव हरेंद्र कुमार सहित अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने गिरफ्तार संतोष कुमार से बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में पूछताछ की थी। इसी पूछताछ में संतोष कुमार ने इस बात का खुलासा किया कि सुनियोजित तरीके से कमीशन की राशि का बंटवारा होता था और व इस सिंडिकेट में अहम भूमिका निभाता था।

छापेमारी में ईडी को मिले थे कई जगहों से एफडी के कागजात

ईडी ने पिछले साथ कुल 18 जगहों पर छापेमारी की थी। जिसमें किनके यहां से क्या मिला था इसकी भी जानकारी दी अपनी रिपोर्ट में दी है। बताया है कि राँची स्थित बंसल प्लाजा निवासी निरंजन कुमार के यहां से नगद 3.03 लाख रुपए का एफडी, लेक एवेन्यू कांके रोड निवासी विभोर सिंघानिया के आवास से 47.50 लाख रुपए का एफडी, कुसुम विभाग मोरहाबादी निवासी सुरेश कुमार महतो के आवास से 2.05 लाख रुपए का एफडी, रातू रोड निवासी निरंजन कुमार के आवास से 2.50 का एफडी और मनीश रंजन के यहां से कई कागजात, मोबाइल फोन जब्त किए गए थे।

संतोष कुमार ने बनाया था रॉकड्रिल कंस्ट्रक्शन कंपनी

ईडी को जांच से यह भी पता चला है कि मेसर्स रॉकड्रिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड एक कंपनी थी, जिसे संतोष कुमार ने दिसंबर, 2022 में तत्कालीन कार्यकारी अभियंता प्रभात कुमार सिंह के निर्देश पर इसी उद्देश्य से बनाया था। उक्त राशि 22,93,42,947 संतोष कुमार ने अपनी कंपनी में और खुद के एकाउंट में ट्रांसफर की। जिसमें से संतोष कुमार सिंह ने लगभग 12 करोड़ रुपये नकद निकाले थे। जिसे कई लोगो के बीच वितरित किए गए। जिन लोगो के बीच राशि का वितरण किया उनमें एग्जीक्यूटिव इंजीनियर प्रभात कुमार सिंह, राधे श्याम, चंद्रशेखर, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर निरंजन कुमार, डिवीजनल एकाउंटेंट परमानंद कुमार, सुरेंद्र पाल मिंज (अब मृत), ट्रेजरी आफिसर मनोज कुमार, सुनील कुमार सिन्हा, कर्मी संजय कुमार सिंह, रंजन कुमार सिंह और संतोष कुमार के बीच बांटी गई।

संतोष ने ईडी को बताया तत्कालीन डीडीओ के कहने पर दिया अपना बैंक का डिटेल्स

ईडी को अनुसंधान के दौरान संतोष कुमार ने अपने दिए बयान में बताया कि एक बार तत्कालीन कार्यपालक अभियंता/डीडीओ प्रभात कुमार सिंह, ने उन्हें अपने केबिन में बुलाया। उन्होंने संतोष से कहा कि वह अपने बैंक खातों का विवरण दे। प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि कुछ सरकारी राशि उसके खातों में स्थानांतरित की जाएगी। प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि उसके बैंक खाते के नाम पर एक आईडी बनाई जाएगी और उस पर सरकारी राशि का हस्तांतरण किया जाएगा। आदेश के अनुसार, उन्होंने डीडीओ कोड (RNCWSS017) का उपयोग करके कुबेर वेबसाइट पर लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड के नाम से एक नकली भुगतानकर्ता आईडी बनाई और अपने बैंक खातों और अपनी कंपनी के बैंक खातों को भी उक्त नकली भुगतानकर्ता आईडी से टैग किया। इसके बाद, कार्य लेखा और प्रबंधन सूचना प्रणाली पर, बिल क्लर्क की आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके, उसने फर्जी भुगतानकर्ता आईडी पर भुगतान के माध्यम से उक्त राशि की निकासी के लिए एक बिल बनाया।

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