राँची में विगत पांच वर्षों में 1432 लोगों से हुई 50 करोड़ से अधिक की साइबर ठगी,वहीं राज्यभर में 150 करोड़ से अधिक के 5352 मामले साइबर अपराध के हो चुके है…
–अपराधियों को हो रही है गिरफ्तारी, लेकिन अभियुक्तों के पास से सिर्फ एटीएम, पासबुक, लैपटॉप व दस्तावेज की ही हो रही है रिकवरी,राँची में पांच साल में साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने 10 करोड़ रुपए अभियुक्तों के खाते में कराए फ्रीज व कोर्ट से सुलहनामा के बाद वापसी
केस वन:हटिया निवासी बिंदेश्वरी सिंह से साइबर अपराधियों ने डेड बीमा पॉलिसी के पैसे दिलाने के नाम पर 87 लाख रुपए ठग लिए। साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया। लेकिन रिकवरी के नाम पर सिर्फ दो मोबाइल और कांड में प्रयुक्त खाता व अन्य दस्तावेज ही पुलिस ने जब्त किए। पैसे की रिकवरी नहीं हो सकी है।
केस टू:राँची की रहने वाली शिल्पी सिंह से साइबर अपराधियों ने 84.32 लाख रुपए की साइबर ठगी पार्ट टाइम जॉब के नाम पर कर ली। साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। लेकिन रिकवरी के नाम पर सिर्फ दो मोबाइल, तीन सिम, चार आधार, 11 एटीएम और एक वोटर कार्ड बरामद हुआ।
राँची।राजधानी राँची में साइबर अपराध की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। साइबर अपराध मामले में जहां रांची पूरे राज्य में अव्वल है, वहीं सबसे अधिक राशि की साइबर ठगी राँची में ही हो रही है। अपराध अनुसंधान विभाग की साइबर थाना पुलिस लगातार साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी कर रही है, लेकिन साइबर अपराधियों के पास से ठगी के पैसे रिकवरी नहीं हो पा रही है। अपराध अनुसंधान विभाग के जारी साइबर अपराध के आंकड़ों पर नजर डालें, तो राँची में सिर्फ पिछले पांच साल में 1432 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए। जिसमें 50 करोड़ रुपए से अधिक के साइबर अपराध हुए। इसमें 916 मामले आज भी लंबित हैं।राँची में पांच साल में साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने 10 करोड़ रुपए अपराधियों के खाते में फ्रीज कराए है और कोर्ट में सुलहनामा के बाद वापसी कराए है। वहीं पूरे राज्य में पिछले पांच वर्षों में साइबर अपराध के 5352 मामले दर्ज हुए। जो 150 करोड़ रुपए से भी अधिक के ठगी के हैं। इसमें 3483 मामले आज भी लंबित है। हालांकि, इसमें कई मामले में अपराधी पकड़े गए। लेकिन इनके पास से रिकवरी के नाम पर एटीएम, पासबुक, चेकबुक और लैपटॉप ही शामिल थे। रांची में साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने सितंबर तक 67 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये उन मामलो में गिरफ्तारी हुई है जिसमें साइबर ठगी दो लाख रुपए से उपर हुई और मामला साइबर क्राइम थाने में दर्ज हुआ। लेकिन जिले के अन्य थानों में जो साइबर अपराध के मामले दर्ज हो रहे है उनमें ना गिरफ्तारी हो रही है और ना ही रिकवरी। क्योंकि वहां एक्सपर्ट अधिकारी ना के बराबर है।
साइबर अपराध के आकड़े,राँची सहित प्रमुख जिलों के
जिला 2019 2020 2021 2022 2023
राँची 478 286 211 255 202
धनबाद 143 77 74 54 58
जमशेदपुुर 78 64 70 114 58
जामताड़ा 68 74 76 78 49
दुमका 13 36 33 24 11
कुल 1343 1242 1051 1031 685
महिलाओं और बुजुर्गों को बना रहे है ज्यादातर साइबर अपराधी शिकार
साइबर अपराधियों का शिकार ज्यादातर महिलाएं और बुजुर्ग हो रहे है। इनमें वैसी महिलाएं शामिल है जो पढ़ी लिखी है लेकिन उनके झांसे में आ जा रही है। वहीं साइबर अपराधी 55 साल से उपर के बुजुर्गों को झांसे में ले रहे है। उन्हें जबतक समझ में आए कि वे फंस रहे है तब तक उनसे ठगी हो जा रही है।
साइबर अपराध में जामताड़ा चौथे स्थान पर
राज्य भर में चार जिलों में सबसे अधिक साइबर अपराध के मामले सामने आ रहे हैं। इसमें राँची पहले स्थान पर है। वहीं धनबाद दूसरे स्थान पर, जमशेदपुर तीसरे स्थान पर और देश भर में साइबर अपराध के लिए चर्चित जामताड़ा जिला साइबर अपराध में चौथे स्थान पर है। पूरे झारखण्ड में कोरोना काल के समय वर्ष 2019 व 2020 में साइबर अपराध के सबसे अधिक मामले सामने आए। क्योंकि सबसे ज्यादा लोग मोबाइल व इंटरनेट पर व्यस्त रहते थे। जिसका फायदा साइबर अपराधियों ने उठाया।
गिरफ्तार साइबर अपराधियों के बैंक स्टेटमेंट का एनालिसिस किया जा रहा है, ताकि पैसे रिकवर हो
साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। दूसरे राज्यों से लगातार साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हो रही है। पैसे की रिकवरी के लिए उनके बैंक एकाउंट का एनालिसिस किया जा रहा है। ताकि बैंक के साथ िमलकर उनके खाते से जो राशि ट्रांसफर हुए हैं, उसे फ्रीज कर वापस कराया जा सके। साथ ही ऐसे साइबर अपराधियों का डिटेल्स कोर्ट को उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि इन्हें कोर्ट से बिना राशि वापस किए जमानत न मिल सके।–कार्तिक एस,एसपी साइबर, सीआईडी
साइबर अपराधी अब नया ट्रेंड अपना रहे है ठगी का, इसलिए लोग बन रहे है शिकार
साइबर अपराधी ठगी का नया ट्रेंड अपना रहे है इसलिए लोग इनका शिकार बन रहे है। पहले एटीएम का पिन पूछ ठगी होती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब साइबर अपराधी गूगल सर्च इंजन पर अपना नंबर हर उन जगहों पर डाल रहे है जहां लोग मदद के लिए नंबर ढूंढा करते है। डाक्टर का अॉन लाइन बुकिंग, किसी भी कंपनी का टॉल फ्री नंबर, कस्टमर केयर नंबर, एयरलाइंस एजेंसी की टिकट बुकिंग व कैंसिलेशन के लिए दिए गए टॉल फ्री नंबर, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी जैसे मामलों में दिए कस्टमर केयर नंबर पर सभी जगह साइबर अपराधियों ने डाल रखे है। जैसे ही उपभोक्ता इन नंबरों पर फोन करते है वे लोग झांसे में लेकर उन्हें ठगी का शिकार बना रहे है। इसलिए ऐसे नंबर जो सर्च इंजन से निकाल कर लोग इस्तेमाल कर रहे है, उनपर सावधानी से बात करे।–साइबर एक्सपर्ट