#BASUKINATH DHAM:मंदिर परिसर से लेकर बाहर तक सन्नाटा पसरा हुआ है,बाबा मंदिर बंद रहने से स्थानीय लोग भी बाहर से ही हाथ जोड़ कर लौट रहे है…
जिस स्थान पर सावन मास में 24 घंटे बोलबम के नारे गुंजा करते थे उस स्थान पर पसरा है सन्नाटा..
बाबा मंदिर बंद रहने से स्थानीय लोग बाहर से ही हाथ जोड़ कर लौट रहे है..
आम श्रद्धालुओं के लिए बासुकीनाथ मंदिर बंद है..
सावन के पहले दिन से सुबह 5 बजे बासुकीनाथ मंदिर का पट सरकारी पूजा के लिए खुलात है फिर शाम में बासुकीनाथ मंदिर न्यास की ओर से मंदिर के पुजारी और प्रशासनिक अधिकारी के साथ विधि विधान से पुरोहित पूजा करते है।
पूजा बासुकीनाथ न्यास पर्षद के फेसबुक पेज,डीसी दुमका,अन्य सोषल साइट पर लाइव की जाती है,जिससे आम श्रद्धालुओं को बाबा का दर्शन हो सके..
मंदिर परिसर से बाहर तक सन्नाटा पसरा हुआ है..
झारखण्ड न्यूज
दुमका/जरमुंडी।हर साल बासुकीनाथ मंदिर में सावन में कांवरियों की भीड़ रहती थी। पर इस साल कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन में मंदिर को आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रखा गया है।विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला भी नहीं लगा है।स्थानीय कुछ लोग बाहर से ही हाथ जोड़ कर बाबा को प्रणाम कर लौट रहे हैं।वहीं बाहरी कोई नहीं पहुंच पा रहे हैं।एक्का दुक्का पहुंच भी जाते हैं तो बाबा फौजदारी को दूर से हाथ जोड़कर प्रणाम कर चल बनते है।सरकार के आदेशानुसार प्रसाशन ने बासुकीनाथ धाम में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं को रोकने के लिए हर प्रवेश द्वार पर पुलिस तैनात है।नंदी चौक पर चेक पोस्ट लगा हुआ है।
शिवगंगा वीरान दिख रहा
हजारों श्रद्धालु जिस शिवगंगा में इस समय डुबकी लगाते थे ऐसे वीरान पड़ा है मानो किसी के आने के इंतजार में अपनी सौंदर्य निखार रहें।जिस जगह गेरुआ रंग से पटा पड़ा रहता था आज ऐसी वीरानी दिखाई दे रहा है।शिवगंगा के चारो ओर बरेकेडिंग कर दिया गया है।
बाबा फौजदारी के प्रांगण में घण्टी की गूंज बंद
सावन के पवित्र मास में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओ की हाथ उस बड़े से घण्टी में पड़ता था तब चारों ओर मनमोहक ध्वनि सुनाई देता था लेकिन इस बार ध्वनि ऐसी शांत पड़ा है।
मंदिर प्रांगण के मुख्य द्वार पर अधिकारियों के साथ पुलिस जवान तैनात है।आज सावन के छठे दिन हैं लेकिन बासुकिनाथ में बाहरी लोगों का प्रवेश बन्द है।ऐसे कोई श्रद्धालु पहुंच भी जा रहे है तो दूर से ही प्रणाम कर चले जा रहे हैं।
बासुकिनाथ में सैकड़ों पंडा आर्थिक संकट में है।क्योंकि पूजा पाठ करने कोई नहीं आ रहे वहीं दान दक्षिणा नहीं मिलने से पंडा समाज में आर्थिक समस्या है।श्रावणी मेला में हर साल लाखों भक्त आते थे जिससे यजमान द्वारा पुरहोतिओं को भी दान दक्षिणा दी जाती थी।लेकिन इस बार मंदिर बंद होने से आर्थिक समस्या आ गई है।
प्रसिद्ध पेड़ा बाजार में पसरा है सन्नाटा ,दुकनादर क्या कहते है-
आज तक न ऐसी विपदा सुनी थी,न देखी थी पहली बार इतने लंबे समय तक बासुकीनाथ मंदिर बंद है। बासुकीनाथ का सारा व्यवसाय, काम-धंधा, रोजी-रोजगार व दुकानदारी चौपट हो गई है। यह कहना है बासुकीनाथ के पेड़ा व्यवसायियों का। विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ में वर्ष भर लाखों यात्रियों की आवाजाही लगी रहती है। श्रद्धालु यहां से पूजन उपरांत घर लौटने के पहले यहां मिलने वाले स्वादिष्ट-शुद्ध पेड़ा,इलायची दाना, प्रसादी चूड़ा ले जाना नहीं भूलते। बाबा बासुकीनाथ की कृपा अपने भक्तों के साथ- साथ यहां के पेड़ा- प्रसादी व्यवसायियों पर भी खूब बरसती है। कारोबार करने वाले कमोबेश सभी व्यवसायी वर्ग पर बाबा बासुकीनाथ की कृपा जमकर बरसती है, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण काल ने दुकानदारों के चेहरे पर मायूसी ला दी है। लंबे समय से बाजार बंद है। इस बार का श्रावणी मेला भी नहीं लगा है। यात्रियों की आवाजाही शून्य है। कब मंदिर खुलेंगे व यात्रियों की आवाजाही प्रारम्भ होगी यह तो अब तक भविष्य के गर्त में है, लेकिन पिछले साढ़े तीन महीने से अधिक समय के लॉकडाउन में बासुकीनाथ मन्दिर, यहां की दुकानें एवं बाजार बंद रहने, बासुकीनाथ में श्रद्धालुओं के आवागमन पर रोक लगने की वजह से मुख्य बाजार, पेड़ा गली, नागनाथ चौक सहित पूरे मेला क्षेत्र में मातमी सन्नाटा है।शनिवार को श्रावणी मेला के छठे दिन भी पूरे बासुकीनाथ बाजार में इक्के-दुक्के स्थानीय ग्रामीण व बड़ी संख्या में पुलिसवाले ही दिखे।
25 करोड़ का बिकता था प्रसाद
श्रद्धालु यहां से पूजन उपरांत घर लौटने के पहले यहां मिलने वाले स्वादिष्ट-शुद्ध पेड़ा, इलायची दाना, प्रसादी चूड़ा ले जाना नहीं भूलते। एक अनुमान के मुताबिक विश्व प्रसिद्ध राजकीय श्रावणी मेला व भादो मेला महोत्सव में दो माह के दरम्यान करीब 12 से 15 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के पेड़ा, दस करोड़ के प्रसादी चूड़ा व इलायची दाना की बिक्री होती है। बासुकीनाथ- देवघर मुख्य सड़क मार्ग में घोरमारा, सहारा, तालझारी, जरदाहा में भी पेड़ा-प्रसादी की खूब बिक्री होती है। श्रावण-भादो मेला में यहां स्थायी और अस्थायी पेड़ा दुकानों की संख्या 100 के पार कर जाती है।
क्या कहते हैं व्यवसायी
मेला नहीं लगने से आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई है।श्रावणी एवं भादो मेला यहां के लोगों के लिए आíथक रूप से अत्यंत आवश्यक है। इसकी बदौलत ही यहां के लोगों के सालों भर गुजर-बसर होती है। सरकार हम दुकानदारों के लिए भी कुछ सार्थक पहल करें।मेला न लगने से पेड़ा व्यवसायियों की हालत काफी खराब है। श्रावण-भादो मेला ही यहां के लोगों का मुख्य आधार है। लंबे समय से दुकान बंद रहने से आíथक तंगी भी शुरू हो गयी है।-गुंजन साह पेड़ा व्यवसायी बासुकीनाथ
लाकडाउन तो किसी तरह से सहन कर लिया, लेकिन मेला नहीं लगने से आíथक रूप से काफी कमजोर हो गए। पेड़ा के भरोसे ही परिवार चलता है। बाबा बासुकीनाथ से प्रार्थना है कि जल्द ही इस कोरोना वायरस के संक्रमण से उबारे और बाजार में फिर रौनक जाए।-संजीव साह, पेड़ा व्यवसायी बासुकीनाथ
सभी दुकानें श्रद्धालुओं के भरोसे पर है। लंबे समय से मंदिर बंद है। श्रावणी मेला की कमाई से ही काफी कुछ उम्मीदें रहती थी। इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण ने सब कुछ लील लिया। बाबा जल्द ही देश को इस संकट से उबारें।-संतोष मंडल पेड़ा दुकनादर