#श्रद्धाजंलि💐:नहीं रहे प्रणब दा:देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में निधन,प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति समेत कई नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त,देश में शोक की लहर..
पूर्व राष्ट्रपति को 10 अगस्त को उनके मस्तिष्क में क्लॉट हटाने की सर्जरी के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।
नई दिल्ली: देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया. ब्रेन क्लॉट सर्जरी के बाद वो वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे. मुखर्जी कोरोना वायरस से भी संक्रमित पाए गए थे. पूर्व राष्ट्रपति को 10 अगस्त को उनके मस्तिष्क में क्लॉट हटाने की सर्जरी के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणव दा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किये है उन्होंने ट्वीटर पर लिखे हैं।भारत, भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोकाकुल है। उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
India grieves the passing away of Bharat Ratna Shri Pranab Mukherjee. He has left an indelible mark on the development trajectory of our nation. A scholar par excellence, a towering statesman, he was admired across the political spectrum and by all sections of society. https://t.co/gz6rwQbxi6
पूर्व राष्ट्रपति मा. श्री प्रणब मुखर्जी के निधन के समाचार को सुनकर अत्यंत दु:ख हुआ। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं।
ॐ शांति! : मध्य प्रदेश CM शिवराज सिंह चौहान
उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।उन्होंने कहा, “श्री प्रणब मुखर्जी जी सार्वजनिक जीवन में शुचिता, पारदर्शिता एवं स्पष्टवादिता की प्रतिमूर्ति थे।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया।
प्रणब मुखर्जी का सियासी सफर
प्रणब मुखर्जी सियासी गलियारे में प्रणब दा के नाम से पुकारे जाते हैं. राजनीति में उनका लंबा अनुभव रहा जिसका लोहा हर कोई मानता है. यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी के पास वित्त मंत्रालय संभालने के अलावा कई अहम जिम्मेदारियां थीं. उन्हें कांग्रेस के ‘संकटमोचक’ की संज्ञा दी गई. प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बांग्ला कांग्रेस से की थी. जुलाई 1969 में वे पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए. इसे बाद वे साल 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के सदस्य रहे. इसके अलावा 1980 से 1985 तक राज्य में सदन के नेता भी रहे. मई 2004 में वे चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और 2012 तक सदन के नेता रहे.
1986 में कांग्रेस से हो गए थे अलग
एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी. 1986 में प्रणब दा को कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी पीएम बने. राजीव के पीएम बनने के बाद प्रणब मुखर्जी को पार्टी में किनारे कर दिया गया. वे कैबिनेट से बाहर कर दिए गए. इस सब से नाराज होकर आखिरकार प्रणब मुखर्जी ने 1986 में कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया और राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस बनाई।
प्रणब मुखर्जी की पार्टी ने 1987 में पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव लड़ा, पर उनकी पार्टी को पहले ही चुनाव में बुरी हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद प्रणब मुखर्जी ने 1988 में कांग्रेस में दोबारा वापसी कर ली. मुखर्जी को कांग्रेस में दोबारा वापसी का इनाम जल्द ही मिला और उन्हें नरसिम्हा राव की सरकार में 1991 में योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया।
2004 में सोनिया गांधी ने जब पीएम बनने से मना कर दिया था, तो प्रणब मुखर्जी का नाम भी प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हुआ. प्रणब मुखर्जी को मनमोहन सिंह की सरकार में रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री जैसे अहम पद मिले. 2012 में प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया और वो एनडीए समर्थित पी.ए. संगमा को हराकर देश के 13वें राष्ट्रपति बने।