Ranchi:सदर अस्पताल के डॉक्टर और अस्पताल कर्मी के कड़ी मेहनत से कोरोना से जंग जीत गया पुरुषोत्तम,57 दिनों तक चला इलाज
लंबे समय तक भर्ती रहने वाले और ठीक होकर जाने वाले पुरुषोत्तम पहले मरीज हैं
राँची।सदर अस्पताल की ओर से आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि आज हमारे यहां एक मरीज पुरुषोत्तम कुमार जो कि बिहार के नवादा के रहने वाले है और सदर अस्पताल में सबसे लंबे समय तक भर्ती रहे और इनका इलाज 57 दिन तक चला है।बताया गया कि 25 दिन तो वह सिर्फ वेंटिलेटर पर रहे बाकी दिन ऑक्सीजन सपोर्ट पर आईसीयू में भर्ती रहे।ये 34 वर्ष के रेलवे कर्मचारी है उनकी पोस्टिंग मुंगेर में है।बताया गया कि 22 अप्रैल 2021 को उनका कोविड-19 पॉजिटिव रिपोर्ट आया था।27 अप्रैल 2021 को वह नवादा के एक अस्पताल में भर्ती हुए जहां उनका जहां सीटी स्कैन रिपोर्ट में उनका स्कोर 17/25 आया था।वह 30 तारीख तक भर्ती रहे हैं उस समय उनको 2 से 3 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती थी। 30 तारीख के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा और बुखार लगातार रहता था।नवादा के डॉक्टरों ने उन्हें बोला कि वह किसी हायर सेंटर चले जाएं उस समय किसी भी मरीज के लिए ज्यादा ऑक्सीजन का इंतजाम कर पाना लगभग असंभव था।उस समय बेड भी मिलना बहुत मुश्किल था।उन्होंने राँची में अपने परिचित के माध्यम से एक प्राइवेट अस्पताल में बेड का पता किया और वहां आकर 30 अप्रैल को भर्ती हो गए।
परंतु वहां पर भी ऑक्सीजन की भारी किल्लत थी और रोज का खर्च भी 20000 से 25000 आ रहा था।उन्हें डॉक्टर अजीत का पता चला जो कि उस समय सदर अस्पताल में कोविड-19 आईसीयू में ड्यूटी पर थे।उनसे संपर्क करके वह मरीज को 2 मई 2021 को सदर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया।वहां उनको तुरंत रेमडेसीविर और अन्य जरूरी दवाइयां शुरू की गई।शुरुआती दिनों में कुछ सुधार के बाद उनके स्वास्थ्य में दोबारा गिरावट आने लगीं।तब उन्हें NIV- नाॅन इंवेसीव वेंटिलेटर पर डालना पड़ा।जिस पर वह कम से कम 25 दिन तक रहे।वेंटिलेटर का मैनेजमेंट एवं केयर अपने आप में एक चैलेंजिंग टास्क होता है।परंतु हम सभी ने उसको स्वीकार किया।बीच में दो-तीन बार ऐसा हुआ उनका ऑक्सीजन लेवल घट के वेंटिलेटर पर भी 55-60 आ गया तब रात में हमने उन्हें जाकर देखा तो उनका breathing पैटर्न बहुत खराब चल रहा था।वह गैस्पिंग मोड (सांस उखड़ रही थी) में थे और उनकी हालत खराब हो रही थी। तुरंत उनकी ABG जांच कराने की जरूरत थी।जोकि हमारे सदर अस्पताल में उस समय नहीं हो रहा था हम लोगों ने तुरंत उसे प्राइवेट से जांच कराया उसके बाद उसी अनुसार दवा चलाया गया।हम सभी आईसीयू के डॉक्टर रात 3-4 बजे तक उस केस को लेकर चिंतित रहें और डिस्कस करते रहे और अंततः हमें हमें हमारे परिश्रम का सुखद फल मिला 3 दिन की मेहनत के बाद मरीज का ऑक्सीजन लेवल दोबारा 90 के उपर आने लगा।
फिर धीरे-धीरे हम लोगों ने उन्हें NIV से हटाकर हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखा।जिसमें 20 लीटर ऑक्सीजन लगती थी।10-12 दिन के बाद उन्हें नॉर्मल ऑक्सीजन पर 8 से 10 लीटर पर ले आए।इसको धीरे-धीरे घटा के अंततः 2 लीटर पर वो आ गए।आज हम लोगों ने उन्हें घर जाने की इजाजत दे दी इस सलाह के साथ कि वह लगातार ऑक्सीजन मॉनिटर करते रहेंगे और हमारे द्वारा बताए गए सावधानी और निगरानी बरतेंगे और जरूरत पड़ने पर वह हमसे दूरभाष पर भी संपर्क करके सलाह लेते रहेंगे।इतने लंबे समय तक भर्ती रहने वाले और ठीक होकर जाने वाले वह हमारे पहले मरीज हैं।उन्होंने इस पूरे इलाज के लिए डॉ अजीत तथा ICU की पूरी टीम- डॉ पंकज ,डॉ अंशुमन, डॉ नीरज, डॉ राजकुमार, डॉ पवन ,डॉ अभिनव , ICU के वेंटिलेटर टेक्नीशियन, नर्सेज, सफाई कर्मचारी और पूरे सदर अस्पताल के मैनेजमेंट को धन्यवाद दिया।