प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने IAS अधिकारी विनय चौबे,उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह समेत कई लोगों के ठिकानों पर मारा छापा…….
राँची।झारखण्ड विधानसभा चुनाव के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजधानी राँची में एक बार फिर अपनी दबिश डाली है।प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार सुबह को झारखण्ड के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह समेत अन्य करीबी रिश्तेदार और संबंधित अधिकारियों के सीए के ठिकानों पर छापा मारा है। ये कार्रवाई शराब घोटाले मामले में की गयी है।
आईएएस विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह दर्ज हुई थी प्राथमिकी
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू ने पहले ही इस मामले में उत्पाद विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।राँची के विकास कुमार के ने एफआईआर दर्ज कराने को लेकर आवेदन दिया था।जिसके बाद रायपुर में प्राथमिकी दर्ज हुई।आवेदन में कहा गया था कि शराब घोटाले की पूरी साजिश रायपुर में ही रची गयी थी।इसके बाद प्रर्वतन निदेशालय ने आज राजधानी में कई जगहों पर छापा मारा है।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के कारण सरकार को हुआ करोड़ों का नुक़सान
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाला हुआ. साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब की दुकानों से अवैध शराब को डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेचा गया, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है.
छत्तीसगढ़ एसीबी ने भी दर्ज करायी है प्राथमिकी
छत्तीसगढ़ में कथित तौर पर हुए 2050 करोड़ रुपये के शराब घोटाले मामले में रायपुर की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मामला दर्ज किया था. इस मामले में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ-साथ झारखंड के आईएएस और तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे को भी आरोपी बनाया गया है.ईओडब्ल्यू रायपुर के इंस्पेक्टर ने राँची के अरगोड़ा थाना क्षेत्र के निवासी विकास सिंह के बयान के आधार पर पहले मामले की जांच की और फिर मामला दर्ज किया।
विकास सिंह ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के अधिकारियों अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट ने शराब घोटाला करके छत्तीसगढ़ सरकार को अरबों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया। आरोपों में यह भी उल्लेख है कि इसी सिंडिकेट ने झारखण्ड के अधिकारियों के साथ मिलकर झारखण्ड की आबकारी नीति में परिवर्तन किया, जिससे सरकार का राजस्व प्रभावित हुआ. इसके अलावा, दोनों राज्यों के अधिकारियों ने मिलकर मैन पावर सप्लाई में भी घोटाला किया है।आरोपों के अनुसार, दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच 2021 के दिसंबर से लेकर जनवरी 2022 तक कई बैठकें हुईं।गौरतलब है कि इससे पहले अप्रैल 2023 में शराब घोटाले के संबंध में आईएएस विनय चौबे और कर्ण सत्यार्थी ने ईडी के रायपुर कार्यालय में अपना बयान दर्ज कराया था।