राँची:जर्मनी शोधकर्ता के स्वागत में खोरठा रचना गोष्ठी..

डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो
रांची : जर्मनी कील विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा नेत्रा पौड्याल अपने शोध के क्रम में कल खोरठा मासिक ‘लुआठी’ कार्यालय,बोकारो पहुँचे। वे खोरठा भाषा के शब्दों और ध्वनि पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने अपने स्तर पर एक खोरठा व्याकरण लिखने का भी दावा किया है जिसका प्रकाशन वे मार्च तक करेंगे।
उन्होंने खोरठा को झारखंड की सबसे व्यापक क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा पाया जिसकी अपनी विशिष्ट पहचान है। आकाश खूँटी को दिये अपने साक्षात्कार में झारखंड के अन्य संपर्क भाषाएँ कुरमाली,नागपुरी और पँचपरगनियाँ से खोरठा के संबंधो पर भी चर्चा की जिनपर शोध जारी है।
उन्होंने दावा किया कि उनके इस शोध के प्रस्तुतिकरण से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भाषावैज्ञानिकों के बिच खोरठा को एक स्वतंत्र भाषा के रूप में पहचान बढ़ेगी।
इनके स्वागत में एक खोरठा रचना गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसका संचालन ‘लुआठी’ के संपादक गिरिधारी गोस्वामी ‘आकाश खूँटी ‘ ने किया। इस गोष्ठी में शामिल होने वाले अन्य खोरठा भाषा कर्मियों में पंचम महतो, डॉ. नागेश्वर महतो, प्रहलाद चंद्र दास, शांति भारत, बंशी लाल ‘बंशी’, परितोष प्रजापति, अनिल कुमार गोस्वामी, डॉ. महेन्द्र नाथ गोस्वामी, श्याम सुंदर केवट, विकी कुमार, दिनेश दिनमणि संदीप कुमार महतो, अनाम अजनबी, प्रदीप कुमार दीपक, श्रीमती गीता रानी, मीरा जोगी, शिवनाथ प्रमाणिक एवं नागपुरी भाषा के सहायक प्रोफेसर डॉ. बीरेन्द्र कुमार महतो।
अंत में बहुत से लेखकों ने अपनी पुस्तक डॉ. पौड्याल को भेंट की।