बोकारो के लुगु पहाड़ मुठभेड़ में शामिल महिला नक्सली ने किया सरेंडर…
बोकारो।झारखण्ड के बोकारो जिले में लुगु पहाड़ मुठभेड़ में शामिल प्रतिबंधित भाकपा माओवादी संगठन की महिला सदस्य ने आत्मसमर्पण किया। नक्सली सुनीता मुर्मू उर्फ लिलमुनि मुर्मू ने सोमवार को एसपी मनोज स्वर्गीयारी और सीआरपीएफ कमांडेंट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।मालूम हो कि 21 अप्रैल को ऑपरेशन डाकाबेड़ा के तहत हुई मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी विवेक सहित आठ हार्डकोर नक्सली पुलिस एनकांटर में मारे गए थे। जबकि 8 से 10 नक्सली भागने में सफल हो गए थेम
मुठभेड़ के बाद बोकारो पहुंचे डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा था कि ऑपरेशन डाकाबेड़ा के तहत भागे नक्सलियों की तलाश में सर्च अभियान जारी रहेगा।माना जा रहा है कि पुलिस के बढ़ते दबाव और राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी से प्रभावित होकर सुनीता मुर्मू ने आत्मसमर्पण किया है।बताया जाता है कि वह खुद चलकर एसपी आवास पहुंच गई थी। दुमका जिले के अमरपानी निवासी सुनीता मुर्मू 2017 में एक महिला के साथ जंगल में गई थी और नक्सली बन गई थी। शुरू में वह दस्ते में खाना बनाती थी, फिर बाद में संतरी ड्यूटी और बाकी अन्य कार्य करने लगी।
सुनीता मुर्मू ने स्वीकार किया कि वो गलत रास्ते पर चली गई थी। उसने अन्य नक्सलियों से भी आत्मसमर्पण करने की अपील की।उन्होंने बताया कि वह तीन साल गिरिडीह जेल में रह चुकी है।कई थानों में उसके ऊपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हैं। सीआरपीएफ कमांडेंट ने कहा समाज में भय का कोई स्थान नहीं है। अन्य नक्सलियों को भी सरेंडर पॉलिसी का लाभ लेकर मुख्यधारा से जुड़ना चाहिए।अपर समाहर्ता ने बताया कि समाज में भटके हुए नक्सलियों को फिर से मुख्यधारा से जोड़ने के लिए झारखण्ड सरकार वर्ष 2018 में सरेंडर पॉलिसी लाई। उसके तहत नक्सलियों को पैसे, घर, जमीन दी जाती है। रोजगार व्यवसाय की व्यवस्था करने में सरकार सहयोग करती है।वहीं अगर नक्सली आगे पढ़ना चाहे तो सरकार उसकी भी व्यवस्था करेगी, ताकि वे अपना और परिवार का भरण पोषण कर सके।सुनीता को ये सभी लाभ दिये जाएंगे।