अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस:नारी का सबसे सुंदर रूप है माँ,बेटे की दोनों किडनी फेल हुई तो माँ ने किडनी देकर बचाई जान, दी नई जिंदगी…
माँ का त्याग...माँ अपने बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती हैं।माँ त्याग की मूर्ति हैं। ऐसी ही एक माँ अबिरा पाल हैं, जिन्होंने अपने बेटे की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दे दी। आज माँ के त्याग से बेटा पूरी तरह स्वस्थ है…
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई।
“जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है। घेर लेने को जब भी बलाएं आ गईं, ढाल बनकर माँ की दुआएं आ गईं।” मशहूर किसी शायर का यह शेर वास्तव में माँ शब्द की शक्ति बयां करता है। बच्चा कैसा भी हो और किसी भी खराब हालात में हो, माँ की दुआएं उसे हरेक बला से बचा लेती है। मां अंतिम सांस तक अपने बच्चों के लिए ढाल बनकर खड़ी रहती है। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।राँची के लालपुर स्थित लोअर वर्द्धमान कंपाउंड निवासी सुबोदीप पाल की माँ अबिरा पाल। एक सरकारी बैंक में बड़े ओहदे पर कार्यरत सुबोदीप 7 साल पहले कर्नाटक के बैंक में कार्यरत थे। दर्द निवारक दवा अधिक लेने से उनकी दोनों किडनियां खराब हो गईं।
माँ अबिरा पाल ने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। कई डॉक्टरों से संपर्क किया। बेटे को लेकर वेल्लोर पहुंचीं। वहां डॉक्टरों ने बताया किडनी ट्रांसप्लांट कराना होगा। माँ अपनी किडनी देने के लिए तैयार हो गईं। सभी जांच हुई। लेकिन डॉक्टरों ने यह कहते हुए किडनी लेने से इंकार कर दिया कि उनका शुगर लेवल बढ़ा हुआ है, ऐसे में किडनी नहीं ली जा सकती। निराश होकर अबीर पाल राँची लौट आईं। इसके बाद सुबोदीप की स्थिति बिगड़ने लगी तो डायलिसिस शुरू हो गया। लेकिन माँ हिम्मत नहीं हारी।
उन्होंने पूरे एक वर्ष तक खान-पान में संयम बरता। मीठा खाना बंद कर दिया। इसके बाद वर्ष 2020 में बेटे को लेकर दिल्ली स्थित एक बड़े अस्पताल पहुंची। वहां करीब 28 तरह के टेस्ट हुए। सब कुछ सामान्य रहने पर माँ की किडनी निकाल कर बेटे में ट्रांसप्लांट किया गया। करीब दो माह तक दिल्ली में रहने के बाद बेटे को सुरक्षित लेकर माँ राँची पहुंचीं।
जब बेटा पूरी तरह स्वस्थ हुआ तब कराई शादी, 6 माह पहले घर में गूंजी किलकारी
सुबोदीप पाल की माँ अबिरा पाल ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट कराने से पहले काफी परेशानी हुई। बिचौलिए पीछे पड़ गए थे, लेकिन सभी जगह स्वयं गई। डॉक्टरों से संपर्क करके किडनी ट्रांसप्लांट कराया। बेटा पूरी तरह स्वस्थ हो गया, तब जाकर वर्ष 2023 में बेटे की शादी कराई। घर में बहू आने से परिवार में खुशियां लौट आईं। छह माह पहले सुबोदीप पिता बने। घर में नन्ही बच्ची का आगमन हुआ तो परिवार के सभी सदस्य खुशी से झूम उठे। अबीर पाल ने बताया कि घर में पोती के आने से हमलोगों को जीवन का मकसद मिल गया। बेटा, बहू और पोती को देखने भर से अपना सारा दर्द भूल जाती हूं।
कैसे खराब हुई किडनी… मई 2018 में अचानक
सुबोदीप के पैर के अंगूठे में दर्द उठा। दर्द की दवा लेने लगे। कुछ ही दिन बाद चेहरे में सूजन आने लगा। परेशानी बढ़ी तो रांची आ गए। डॉक्टर ने बताया कि उनकी दोनों किडनी डैमेज हो गई है, किडनी ट्रांसप्लांट होने पर ही बच सकते हैं। घर का इकलौता बेटा व पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभालने वाला बीमार पड़ गया तो मां-बाप के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
रिपोर्ट:साभार