स्पेशल ब्रांच ने एसएसपी राँची को भेजी रिपोर्ट….राँची में 60 एकड़ में हो रही है अफीम की खेती
-अनगड़ा थाना क्षेत्र के 11 गांवों में वन भूमि पर की जा रही रही है अफीम खेती,नष्ट नहीं किया गया तो मार्च के मध्य में निकल जाएगा अफीम
राँची।राजधानी राँची में इस साल भी अफीम की फसल लहलहाने वाली है। क्योंकि इसकी खेती दिसंबर के पहले हफ्ते से राँची में भी शुरू हो गई है। ये जानकारी स्पेशल ब्रांच ने 17 दिसंबर को राँची एसएसपी को दी है। स्पेशल ब्रांच की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि राँची के अनगड़ा थाना क्षेत्र में 11 गांवों में इसकी खेती की जा रही है। सबसे अहम जानकारी ये दी गई है कि ये अफीम की ये खेती वन भूमि में चोरी छिपे जंगलों के बीच की जा रही है ताकि पुलिस व आम लोगो की नजर इसपर ना पड़े। स्पेशल ब्रांच की ओर से भेजे गए पत्र में एसएसपी राँची को बताया गया है कि इन जगहों पर जाकर अफीम की खेती को नष्ट किया जाए। इसकी जानकारी एसएसपी के अलावा डीजीपी, सीआईडी, आईजी, डीआईजी राँची प्रक्षेत्र और सहायक आयुक्त उत्पाद को भी दी है। अगर तत्काल इन अफीम के पौधों को नष्ट नहीं किया गया तो इन पौधे से तीन महीनों बने फल से अफीम निकाल लिया जाएगा।
अंबाझरिया में सबसे अधिक 12 एकड़ वन भूमि में खेती
स्पेशल ब्रांच की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार अनगड़ा थाना क्षेत्र में करीब 60 वन भूमि में अफीम की खेती की जा रही है। सबसे अधिक अंबाझरिया में 12 एकड़ वन भूमि में अफीम के पौधे लगाए गए है। इसके अलावा जामटोली में 3 एकड़ वन भूमि में अफीम की खेती की गई है। वहीं कोचे टोली में 2.5 एकड़ वन भूमि में, कोन्ता टोली में 3 एकड़ वन भूमि में, पुरना डीह में 4 एकड़ भूमि में, कनकट्टा में 3 एकड़ वन भूमि में, ईरीसेरेंग में 2 एकड़ वन भूमि में, सताकी में 10 एकड़ वन भूमि में, कोम्बो में 5 एकड़ वन भूमि में, जराडीह में 4 एकड़ वन भूमि में, और डुमरगढ़ी में 8 एकड़ वन भूमि में अफीम की खेती की जा रही है।
दिसंबर से शुरू होती है खेती, मार्च के मध्य में निकल जाता है अफीम
अफीम की खेती दिसंबर के पहले हफ्ते में शुरू हो जाती है। तीन माह में इसकी फसल तैयार हो जाती है। माफिया मार्च के मध्य तक अफीम फलों से निकाल लेते है। अप्रैल में इसे माफिया बेचने लगते है। राजधानी राँची में पहले अफीम की खेती नहीं होती थी। लेकिन पिछले पांच छह वर्षों से राँची के भी कई इलाकों में अफीम के पौधे लहलहाने लगे है। राँची के बुंडू,और अनगड़ा में सबसे अधिक अफीम की खेती की जा रही है। इसके अलावा नामकुम व राहे में भी अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। राँची पुलिस ने दो दिन पहले राहे में फुलवार, बहराबेड़ा, कपिडीह के जंगल में लगे सात एकड़ में और दशम थाना क्षेत्र में मुर्गीडीह में दो एकड़ में लगे अफीम की पौधों को अभियान चलाकर को नष्ट किया था।
तीन लाख रुपए किलो बिक रहा है अफीम, इसलिए युवा इसमें ज्यादा..
जिन इलाकों में अफीम की खेती की जा रही है उसमें सबसे ज्यादा बेरोजगार युवा शामिल है। तीन माह का समय इस खेती में लगता है। एक किलो अफीम बेच कर तीन लाख रुपए कमाई हो जाती है। इसलिए चार पांच के ग्रुप में वन भूमि में इसकी खेती की जा रही है। ये वन भूमि खेती के लिए उन जगहों में तैयार की जा रही है जो आम लोगो की पहुंच से दूर रहती है और आसपास में सिचाई के लिए जल स्रोत रहते है।