प्लीज मुझे यहीं रहने दो… जिस बेटे के लिए खरीदी जमीन, उसके कब्र से लिपट रो रहा पिता…

 

बेंगलुरू।रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने इस बार की IPL ट्रॉफी अपने नाम की है। 18 साल के लंबे इंतजार के बाद RCB के हिस्‍से में यह खुशी आई।बेंगलुरु की जीत का जश्‍न मनाने के लिए स्थानीय चिन्‍नास्‍वामी स्‍टेडियम में विक्‍ट्री प्रोग्राम का आयोजन किया गया था।इस कार्यक्रम में बड़ी तादाद में प्रशंसक जुट गए थे।इतनी बड़ी भीड़ को संभाल पाना स्‍थानीय पुलिस और प्रशासन के बस की बात नहीं थी और देखते ही देखते आरसीबी के प्रशंसकों की भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई।इस हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों अन्‍य घायल हो गए।

मुझे यहीं रहने दो…जिस बेटे के लिए खरीदी जमीन, उसके कब्र से लिपट रो रहा पिता

बेंगलुरु हादसे में हासन जिले के बीटी लक्षमण के 21 साल के बेटे की मौत हो गई थी।वह अपने बेटे की कब्र से लिपट कर बेतहाश विलाप करते हुए दिखे हैं।बेंगलुरु हादसे में हासन जिले के निवासी बीटी लक्षमण के बेटे भुमिक लक्षमण की भी मौत हो गई थी।इकलौते बेटे के असमय निधन के सदमे को लक्ष्‍मण बर्दाश्‍त नहीं कर पा रहे हैं. उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्‍हें बेटे की कब्र से लिपट कर रोते हुए देखा सकता है. कुछ लोग उन्‍हें वहां से हटाने का प्रयास करते हैं तो बेटे के निधन से टूटे पिता लक्षमण कहते हैं – मैं भी यही रहना चाहता हूं…प्‍लीज मुझे रहने दो! दिल को चीर देने वाला यह वीडियो सामने आने के बाद बेंगलुरु हादसे की भयावहता और उसकी गंभीरता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है जवान बेटे की कब्र पर विलाप करते हुए लक्ष्‍मण कहते हैं, ‘मेरे बेटे के साथ जो हुआ वैसा किसी के साथ नहीं होना चाहिए।’ लक्ष्‍मण की हालत को देखकर मौके पर मौजूद अन्‍य लोगों की आंखें भी नम हो गईं।

इकलौते बेटे को खोने से गमजदा लक्ष्‍मण ने बताया कि उन्‍होंने भुमिक के लिए जमीन खरीदी थी और अब उसी पर उसका मेमोरियल बनाना पड़ा। भुमिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे और फाइनल ईयर के स्‍टूडेंट थे। बेंगलुरु हादसे में निधन के बाद भूमिक को उनके हासन स्थित गृहक्षेत्र में ही दफनाया गया है. बेटे को गंवाने वाले लक्ष्‍मण का कहना है कि जिन हालात का उन्‍हें सामना करना पड़ रहा है, ऐसा किसी दूसरे पिता के साथ नहीं होना चाहिए। भुमिक उन हज़ारों लोगों में शामिल थे जो बुधवार को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जश्न मनाने और उन खिलाड़ियों की एक झलक पाने के लिए इकट्ठा हुए थे, जिन्होंने 18 साल के इंतज़ार के बाद आरसीबी को आईपीएल का खिताब दिलाया था।वह उन 11 पीड़ितों में से एक थे (जिनमें एक 14 साल की लड़की भी शामिल थी) जिनकी इस भगदड़ में दुखद मौत हो गई।

पोस्‍टमॉर्टम न कराने की मांग:
इस त्रासदी के बाद लक्ष्मण ने सरकार से अपील की थी कि उनके बेटे का पोस्टमॉर्टम न किया जाए। लक्ष्‍मण ने कहा था, ‘मेरा एक ही बेटा था और अब मैं उसे खो चुका हूं।कृपया मुझे उसका शव दे दीजिए, पोस्टमॉर्टम न करवाइए और उसके शरीर को टुकड़ों में न काटिए।मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री हमसे (त्रासदी के पीड़ितों से) मिल सकते हैं, लेकिन वे उसे वापस नहीं ला सकते।’ इस बीच, कांग्रेस ने बार-बार भाजपा पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है और कहा है कि कर्नाटक सरकार पीड़ितों के परिवारों की मदद करने और यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि इस तरह की त्रासदी फिर न हो।

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