Ranchi:मकान किराये पर लेने के नाम पर खाते से उड़ा लिए थे 4 लाख रुपये,सीआईडी ने दो साईबर अपराधी को नई दिल्ली से किया गिरफ्तार

राँची।झारखण्ड के अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) की साइबर अपराध थाने की पुलिस ने मकान किराये पर लेने के लिए आनलाइन रुपये ट्रांसफर करने के नाम पर खाते से तीन लाख 95 हजार 990 रुपये की साइबर ठगी के मामले में नई दिल्ली के दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है।गिरफ्तार आरोपी में नई दिल्ली के डी-108, गली नंबर तीन, हरिनगर एक्सटेंशन पार्ट-3 जैतपुर निवासी प्रदीप प्रजापति व एफ-272, हर्ष विहार निवासी शुभम वर्मा शामिल हैं। इनके पास से साइबर थाने की पुलिस ने दो मोबाइल, तीन सिमकार्ड, तीन चेकबुक, दूसरे के नाम से जारी दो आधार कार्ड, एक एटीएम कार्ड, तीन लैपटाप व पांच पेन ड्राइव जब्त किया है।

सीआईडी की ओर से बताया गया कि ठगी के पीड़ित अशोक कुमार यादव हैं, जो राँची के सदर थाना क्षेत्र में रिम्स के समीप रहते हैं। उन्होंने इसी वर्ष 27 जून को राँची स्थित साइबर अपराध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।साइबर थाने में दर्ज प्राथमिकी के शिकायतकर्ता अशोक कुमार यादव ने अपनी शिकायत में बताया था कि उन्होंने अपना मकान किराए पर देने के लिए मैजिक ब्रिक्स साइट पर एक विज्ञापन दिया था। इसके बाद साइबर अपराधी ने शिकायतकर्ता से मकान किराए पर लेने की इच्छा जताई। उसने खुद को सीआइएसएफ कर्मी बताया और आनलाइन अग्रिम राशि देने के नाम पर उनके खाते का ब्योरा ले लिया। इसके बाद गूगल पे के माध्यम से रुपये लेन-देन के बहाने शिकायतकर्ता के खाते में सेंध लगा दी और उनके खाते से तीन लाख 95 हजार 990 रुपये उड़ा लिए।

खाता नंबर व मोबाइल पर बातचीत के आधार पर साइबर अपराधी तक पहुंची सीआइडी

सीआइडी की साइबर थाने की पुलिस खाता नंबर व मोबाइल नंबर के सहारे साइबर अपराधी तक पहुंची। शिकायतकर्ता के खाते से जिस खाते में रुपये स्थानांतरित हुए थे, उसके सहारे दोनो आरोपी दबोचे गए हैं, जिनसे पूछताछ जारी है।

रहें सावधान, ऐसे ठगी करते हैं साइबर अपराधी

साइबर अपराधियों की नजर विभिन्न प्रोपर्टी साइट्स पर भी है, जैसे मैजिक ब्रिक्स, नो-ब्रोकर, हाउसिंग डाट काम आदि। इनपर दिए गए नंबर पर ये साइबर अपराधी प्रोपर्टी या मकान लेने की इच्छा जताते हैं। वे आनलाइन भुगतान के लिए गूगल पे, फोन पे, पेटीएम आदि करने की इच्छा जताते हैं। पहले वे खाता नंबर या मोबाइल नंबर मांगते हैं। पहले वे झूठी सूचना देते हैं कि उन्होंने एक रुपये भेजा है, मिला होगा, तब ही वे शेष राशि भेजेंगे।इसपर भुक्तभोगी कहता है कि उसे रुपये नहीं मिले, तब वे कहते हैं कि आप भी कुछ रुपये भेजें, ताकि वह कन्फर्म हो सकें। इसपर जैसे ही कोई उन्हें रुपये भेजता है, उनके पास पूरा ब्योरा चला जाता है और वे इस तरह खाते में सेंधमारी कर लेते हैं।

इसके लिए जरूरी है, इस तरह का विज्ञापन देने से पहले ध्यान रखें कि राशि नकद लें, खाते में रुपयों का लेन-देन कतई न करें, अगर किसी कारणवश आनलाइन भुगतान ही लेना हो तो मोबाइल नंबर दें और कहें इसपर सीधे पेटीएम या यूपीआइ करें, किसी तरह के कोड स्कैन करने से साफ इंकार करें, भुगतान के लिए किसी तरह का ओटीपी आए तो उसे किसी से साझा नहीं करें।