Ranchi:लाली के हेसो जंगल में बाघ ने तीन गायों को मारा…! ग्रामीणों में दहशत…
राँची।जिले के नामकुम प्रखंड के रुडुंगकोचा,हुआंगहातू के बाद जंगली बाघ ने नामकुम प्रखंड अंतर्गत लाली पंचायत के हेसो बंडाहारा जंगल में तीन गायों को मार डाला।तीनों गायों के शव 500 मीटर के अंतराल में पड़े थे। रविवार की सुबह जंगल में गोबर चुनने गई महिलाओं ने गाय के शव को देखा जिसके बाद अन्य लोगों को सूचना दी।सूचना पंचायत में आग की तरह फैल गई।काफी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे।घटना के बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची एवं आवश्यक जांच की।
इधर बंडाहारा में रहने वाले लखिन दास मुंडा ने बताया कि देर रात दो से तीन बजे मवेशियों के जोर जोर से चिल्लाने व भागने की आवाज़ आयी परंतु अकेला एवं जंगली जानवरों के डर से बाहर नहीं निकले।सुबह होने पर हेसो,गरुड़पीढ़ी के लोगों को घटना की जानकारी दी।ग्रामीणों ने सुबह जंगल में तीन मवेशियों को मृत पाया।तीनों के गले में दांत का व पीठ में नाखून के निशान थे।ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि बाघ या चीता ने ही गायों को मारा है।
घटना की सूचना देने के बाद वनपाल, वन प्रहरी मौके पर पहुंचे।उन्होंने मौके पर डॉक्टर एवं एक्सपर्ट को मौके पर बुलाया परंतु घंटों इंतजार के बाद भी नहीं पहुंचे।थक-हार कर शाम होने पर ग्रामीण गांव लौट गए। वन विभाग के लोगों ने बताया कि मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता नहीं होने की वजह से संपर्क नहीं हो पाया। कल सुबह डॉक्टर की टीम के साथ टीम आएगी। ग्रामीणों को रात एवं अहले सुबह जंगल ना जाने की सलाह दी।
इधर खूंटी वन प्रमंडल से भी वन विभाग के वनरक्षी मनीष कुमार, दीपक लकड़ा, गोपाल शर्मा, सुरेंद्र नायक और शेखर सुमन ने स्थल का निरीक्षण किया। बाघ द्वारा जानवरों का संभावित शिकार करने की सूचना मिलने पर स्थल निरीक्षण के दौरान वन विभाग के कर्मियों को बाघ के पगमार्क तो नहीं मिले,लेकिन जिस तरह से जानवरों का शिकार किया गया है, उससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि जानवरों का शिकार बाघ ने ही किया है। हालांकि वन विभाग ने बाघ की मौजूदगी की पुष्टि नहीं की है, लेकिन बाघ की मौजूदगी से इनकार भी नहीं किया है।
रेंजर गायत्री देवी ने बाघ द्वारा शिकार किये जाने को लेकर कहा कि लाली जंगल में जहां से जानवरों के शव बरामद किये गये हैं, वहां किसी प्रकार के पगमार्क नहीं मिले हैं।अनुमान लगाया जा रहा है कि घटना को किसी लकड़बग्घे या सियार ने अंजाम दिया होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मृत जानवरों के शरीर पर दांत के निशान हैं, जिससे लगता है कि यह बाघ ही है।उन्होंने कहा कि वनकर्मियों द्वारा स्थल निरीक्षण के बाद शवों को दफनाया नहीं गया, बल्कि उसी स्थान पर छोड़ दिया गया, ताकि शिकारी दोबारा आये, तो उसका पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि शिकारी का पता लगाने के लिए उक्त जंगलों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगा दी गयी है। डिवाइस के जरिये क्षेत्र में जानवरों पर नजर रखना आसान होगा।
गौरतलब है कि एक माह पूर्व भी खूंटी प्रमंडल के बुंडू रेंज के राँची टाटा मुख्य मार्ग पर बाघ के पगमार्क पाये गये थे।कई स्थानों पर बाघ के पदचिह्न मिले थे, लेकिन किसी ने बाघ को नहीं देखा था।उस समय वन विभाग ने कहा था कि बाघ लाली जंगल की ओर चला गया है।राँची डिवीजन की रेंजर गायत्री देवी ने स्थानीय ग्रामीणों से अपील की है कि वे अकेले जंगल में न जाएं।