रिम्स के निवर्तमान निदेशक डॉ. राजकुमार ने ली न्यायालय की शरण, कहा- सम्मान के लिए गया हाइकोर्ट..

 

राँची।राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के निवर्तमान निदेशक डॉ. राजकुमार ने झारखण्ड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।उन्होंने न्यायालय से इंसाफ की गुहार लगाई है और कहा है कि जो आरोप लगाकर उन्हें पद से हटाया गया है, वह बिल्कुुल गलत है।उन्होंने कहा कि अगर उनसे रिम्स गवर्निंग काउंसिल की बैठक में या उसके बाद भी इस्तीफा देने को कहा गया होता तो वह बिना एक मिनट भी गंवाए रिम्स निदेशक के पद से इस्तीफा दे देते, लेकिन जिन आरोपों के साथ उन्हें अपमानित कर के पद से हटाया गया, ऐसे में उनके पास न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था।

डॉ. राजकुमार ने कहा कि अगर उन लोगों ने पहले बोल दिया होता तो वह स्वयं इस्तीफा दे देते। उन्होंने कहा कि जीवन भर सही काम किया, कभी कोई गलत काम नहीं किया और न ही कभी गलत तरीके से पैसे कमाए।उन्होंने कहा कि मुझे अपनी बात भी रखने का समय नहीं दिया गया।प्रूफ रखने का समय नहीं मिला उन्होंने कहा कि आरोपों के साथ जाना उन्हें मंजूर नहीं है। ऐसे में वह न्यायालय की शरण में आये हैं।उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी याचिका के साथ कई प्रमाण भी संलग्न किए हैं।

बता दें रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने 17 अप्रैल की रात तत्काल प्रभाव से रिम्स निदेशक के पद से हटा दिया था। उस समय डॉ. राजकुमार दिल्ली में थे।उन पर प्रशासनिक अक्षमता की वजह से पद से हटाने की बात कही गई थी।

पत्र में लिखा गया था कि निदेशक के पद पर कार्यरत रहने के दौरान मंत्रिपरिषद, शासी परिषद तथा विभाग द्वारा लोकहित में दिए गये निर्णय और निर्देशों का पालन नहीं किया गया तथा रिम्स अधिनियम, 2002 द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को पूर्ण करने में डा. राजकुमार की सेवा संतोषजनक नहीं पायी गयी है।

अतः रिम्स नियमावली 2002 के नियम-9 (vi) के तहत लोकहित में डा. राजकुमार को तीन महीने का वेतन एवं भत्ता देते हुए तत्काल प्रभाव से निदेशक, रिम्स के पद से हटाया जाता है।इस निर्णय पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त होने की बात भी कही गई थी।

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