‘नेताजी’ वाली ख्वाहिश रह गई अधूरी, मिशन-29 में जुट गया था गैंगस्टर…
राँची।झारखण्ड का कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू मंगलवार को पलामू में हुए एक मुठभेड़ में एटीएस टीम के द्वारा मारा गया। झारखण्ड में 150 से अधिक आपराधिक घटनाओं में शामिल रहा अमन साहू पिछले तीन साल से जेल में बंद था। छत्तीसगढ़ के रायपुर से ही वह झारखण्ड में बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहा था। बुलेट से अपना खौफ कायम कर चुका अमन साहू अब ‘बैलेट’ की ताकत भी पाना चाहता था। वह विधायक बनने की ख्वाहिश पाल बैठा था, जो मंगलवार (11 मार्च) को मुठभेड़ के साथ खत्म हो गई।
अपराध के रास्ते राजनीति का रास्ता बिहार से यूपी तक कई बाहुबलियों ने पकड़ा। अमन साहू भी इसी दिशा में बढ़ना चाहता था। अमन जेल में रहते हुए विधायक बनना चाहता था। इसके लिए वह बड़कागांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहता था। 2024 में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उसने कोर्ट से भी इजाजत मांगी थी, लेकिन उसकी मांग स्वीकार नहीं की गई।अब वह 2029 के विधानसभा की तैयारी में अभी से जुट गया था। 21 फरवरी को इसके सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा गया, ‘जय श्री राम, मिशन 2029, बड़कागांव विधानसभा।’ साहू सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए खुद को बड़कागांव का भावी विधायक और समाजसेवी बताता था। वह कभी भाजपा तो कभी जेएमएम के नेताओं को सोशल मीडिया पर शुभकामना संदेश देता था।
राँची जिले के छोटे से गांव मतबे का था रहने वाले अमन साहू ने पढ़ाई के बाद दुकानदार बनने की कोशिश की। उसने राँची के बिरसा मार्केट में मोबाइल की दुकान भी शुरू की। लेकिन उसका इसमें मन नहीं लगा और जल्द ही वह छोटी-मोटी आपराधिक वारदातों को अंजाम देना शुरू किया और जल्द ही बड़ा गैंगस्टर बन गया। अमन को 2019 में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन जल्द ही वह पुलिस की गिरफ्त से भाग निकला। जुलाई 2022 में वह दोबारा पकड़ा गया था। अमन कितना बड़ा अपराधी था इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि वह लॉरेंस बिश्नोई का पार्टनर बन चुका था।
अमन साव ठकुरगांव के मतबे का रहने वाला है।गांव के लोग बताते है कि अमन एक सीधा साधा लड़का था कभी किसी से झगड़ा लड़ाई नहीं करता था लेकिन मैट्रिक में जब वह पढ़ता था तब किसी केस में पहली बार जेल गया।जेल में करीब 10 महीने रहने के बाद उसने आगे की पढ़ाई को पूरा की। अच्छे नम्बर से इंटर करने के बाद डिप्लोमा किया।इस दौरान उसने एक मोबाइल दुकान खोला। उसकी मुलाकात कई अपराधियों से हुई।जिसके बाद से उसका कुनबा बढ़ने लगा।इसके बाद उसने हत्या की वारदात को अंजाम देना शुरू किया। धीरे-धीरे इसका आतंक पूरे झारखण्ड में फैला और यह अपने साथ पढ़े लिखे हाई टेक युवाओं को पैसे का लालच देकर जोड़ता चला गया।अमन साहू को पहली बार पुलिस ने 2019 में गिरफ्तार किया था, लेकिन वह पुलिस गिरफ्त किसी तरह भाग गया। दुबारा अमन साल बाद 2022 में राँची पुलिस की गिरफ्त में आया।
दरअसल अमन साहू गैंग पिछले 15 सालों से झारखण्ड के कोयला कारोबारियों के नाक में दम कर रखा है। डॉन अमन साहू ने 17 साल के उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा। किसी को नहीं मालूम था कि एक छोटे से गांव का पढ़ने वाला लड़का एक दिन झारखण्ड का बड़ा गैंगस्टर बन जाएगा।आज के अमन साहू अपराध की दुनिया का एक बड़ा नाम बन गया था।अमन साहू गैंग झारखण्ड के पलामू, चतरा, लातेहार, राँची, रामगढ़, बोकारो, गिरिडीह, धनबाद सहित कई जिलों के कारोबारी और ठेकेदारों के नाक में दम कर रखा था। अमन साहू के नाम पर कोयला कारोबारी समेत अन्य करोबार से जुड़े लोगों से रंगदारी की मांग फोन पर की जाती है, और फिर पैसे नहीं देने पर खुलेआम गोली मार दी जाती थी।
अमन साहू जेल में रहने के बावजूद अपने अपराध के नेटवर्क को चला रहा था।जब 2022 में गिरिडीह जेल में अमन बंद था तो उसने जेलर प्रमोद कुमार को मारने के लिए जेल में ही बंद दो बदमाशों को सुपारी दी थी।अमन ने पहले दोनों बदमाशों के बाहर जाने के लिए बेल का इंतजाम कराया। जैसे ही बेल मिली रणनीति के तहत दोनों युवकों ने जेलर पर गोली चला दी थी। हालांकि इस वारदात में वह बाल-बाल बच गए थे।
पलामू सेंट्रल जेल में रहते हुए अमन के इशारे पर गैंग के गुर्गों ने जमकर बवाल मचाया है। कई कंपनी पर गोलीबारी की गई। कारोबारियों से रंगदारी वसूली गई। जब पलामू में अमन का आतंक बढ़ रहा था इसके खिलाफ थाना में मामला दर्ज हुए तो पुलिस ने रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू।इस पूछताछ में पलामू पुलिस को अमन ने बताया था कि वह शौक से अपराध की दुनिया में आया है। वह एक बड़ा डॉन बनना चाहता है। देश में सबसे अधिक केस इसपर हो यह चाहता है।जिससे देश और विदेश के लोग इसको जाने। अमन का गैंग अब काफी बड़ा हो चुका है। इस गैंग का लिंक लॉरेंस से भी जुड़ा था।