नवरात्रि 2024: आज दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरा स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना…

 

राँची।हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, दिन शुक्रवार है। नवरात्रि में आज माँ ब्रह्मचारिणी स्वरूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना से मानव में त्याग, तप, सदाचार, वैराग्य, संयम की वृद्धि होती है। इससे उपासक का मन जीवन के कठिन समय में कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। माँ अपने उपासकों की दुर्गुणों व दोषों को समाप्त करती हैं।धार्मिक मान्यता है कि विधि पूर्वक सच्चे मन से माँ की उपासना करने स उपासक दीर्धायु होता है।कूष्माण्डा स्वरूप धारण करने के बाद माता पार्वती जन्म दक्ष प्रजापति के घर हुआ। माता पार्वती इस अवतार में एक महान सती रही हैं।उनके ब्रह्मचारिणी स्वरूप को माँ ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सबों को सौभाग्य प्रदान करने वाले भगवनान मंगल को माता ब्रह्मचारिणी द्वारा शासित हैं।माता ब्रह्मचारिणी स्वरूप में देवी को पादुकाविहीन चरणों से चलते हुए प्रदर्शित किया गया है. इस स्वरूप में माँ को दो भुजाओं के साथ दिखाया गया है। इस रूप में माता के एक हाथ (दाहिने) में जप माला और दूसरे हाथ (बायें) में कमण्लडु धारण की हुईं हैं। प्रभु शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता ब्रह्मचारिणी को तपस्या करना पड़ा था।कठोर तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी नाम से उन्हें संबोधित किया जाता है।माता का प्रिय पुष्प चमेली है।माँ ब्रह्मचारिणी को स्लेटी रंग प्रिय है। यह रंग संतुलित का प्रतीक माना जाता है।यह हमें व्यवहारिक के साथ-साथ सरल बनने के लिए प्रेरित करता है। यह रंग मुख्य रूप से हल्के रंग को पसंद करने भक्तों के लिए उपयुक्त है। बता दें माता के भक्त रोजाना उनकी पसंद के अनुरूप वस्त्र धारण करते हैं।
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