jharkhand: राज्य सरकार झारखण्ड की स्थानीय नीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है।इसका संकेत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दे दिया है।
राँची।राजनीति के खेल में हमेशा झारखण्ड ऊपर नीचे होते रहा है।जितने भी सरकारें बनी है सभी अपनी राजनीति को चमकाने के लिए हमेशा अपनी नीति अपनाया है।जिससे झारखण्ड को कभी नुकसान ,कभी फायदा हुआ है। पिछली रघुवर दास की सरकार ने 5 साल राज्य चलाया उसमें कई निर्णय लिया गया एक बहुत ही बड़ा निर्णय स्थानीय नीति का था।
अब नई सरकारें बनी है 6 महीनों से ज्यादा हो गई है कोरोना काल चल रहा है अब फिर जनता के सामने बड़ी मुद्दा आने वाला है क्योंकि राज्य सरकार झारखण्ड की स्थानीय नीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है।इसका संकेत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दे दिया है।उन्होंने कहा है कि पूर्व की सरकार में बनायी गयी स्थानीय नीति हमेशा से सवालों के घेर में रही है ।यहां तक कि इसके विरोध में लोगों ने सड़क पर भी उतर कर आंदोलन किया था।ऐसे में इस विवादित नीति को समझने की नितांत आवश्यकता है।प्रोजेक्ट भवन में मीडियाकर्मी से बातचीत में हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार अब उस नीति पर फिर से मंथन कर रही है. वह देख रही है कि इसमें क्या बदलाव किया जा सकता है. सभी पहलुओं को समझ कर ही सरकार स्थानीय नीति में बदलाव का फैसला लेगी।
बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में करीब 5 माह पहले हुई कैबिनेट में पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के द्वारा बनायी गयी स्थानीय नीति में बदलाव का फैसला हुआ था. कहा गया था कि स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए मंत्रियों की 3 सदस्यीय सब-कमेटी बनेगी. मंत्रियों के नाम तय करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया था. मुख्यमंत्री के दिये गुरुवार के बयान के बाद यह तय है कि जल्द ही मंत्री के नाम पर मुहर लगेगी. इसके बाद सब-कमेटी के सदस्य स्थानीय नीति की नयी परिभाषा के लिए काम शुरू कर देंगे।
18 अप्रैल 2016 को रघुवर सरकार ने की थी घोषणा:
मालूम हो कि पूर्व की रघुवर सरकार ने 18 अप्रैल 2016 को राज्य में नयी स्थानीय नीति को लागू किया था. रघुवर दास सरकार ने 18 अप्रैल 2016 को स्थानीय नीति लागू की थी. इसमें 1985 से राज्य में रहनेवालों को स्थानीय माना गया है. इसमें थर्ड ग्रेड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में प्राथमिकता और कई स्थानों उनके लिए पूरी तरह से रिजर्व रखने की बात थी।