Ranchi:दुर्गा बाड़ी सहित कई पंडाल में सिंदूर खेला के साथ माँ भगवती को दी गई विदाई, महिलाओं ने की अखंड सौभाग्य की कामना
राँची।देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयादशमी का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है।इस मौके पर राजधानी राँची के कई पंडाल में पारंपरिक रूप से सिंदूर खेलकर महिलाओं ने माँ भगवती को विदा किया।मान्यताओं के अनुसार नौ दिनों तक माँ दुर्गा की आराधना के पश्चात जब विजयादशमी के मौके पर माँ विदा होती हैं तो महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद सिंदूर प्रदान करके करती हैं। यह रस्म विवाहित महिलाओं के लिए काफी खास होती है। इस दौरान महिलाएं अपने पति की दीर्घायु जीवन के लिए माँ से कामना करती हैं।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में इस बार भी महिलाएं पंडाल और दुर्गा बाड़ी पहुंचीं।जहां एक दूसरे को सिंदूर लगाई और विजयादशमी की बधाई दी।
इधर राँची के दुर्गाबाड़ी पहुंची सांसद महुआ माजी ने विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए महिलाओं के साथ जमकर सिंदूर खेला।महुआ माजी ने आज के दिन को खास बताते हुए कहा कि मान्यता यह है कि नवरात्र के मौके पर माँ दुर्गा माँ लक्ष्मी, गणेश समेत अन्य देवी देवताओं के साथ मायके आती है और आज उनका गमन होता है। हमलोग खुशी-खुशी उनका आह्वान करते हैं और खुशी-खुशी विदा भी करते हैं।आशीर्वाद स्वरूप माँ सौभाग्य का वरदान सिंदूर के रूप में देती हैं, जिसे महिलाएं इस मौके पर लगाती हैं।
नवरात्र के मौके पर माँ के विविध स्वरूपों की पूजा नौ दिनों तक होती है मान्यता है कि माँ दुर्गा 10 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं और इसी उपलक्ष्य में उनका स्वागत पूजा पंडाल बनाकर किया जाता है।बंगाली समुदाय इसे खास तौर पर मनाते हैं। पंचमी से लेकर विजयादशमी तक उनके लिए खास होता है। विजयादशमी को सुबह-सुबह घर के सभी लोग उठते हैं और स्नान ध्यान करके नववस्त्र पहनकर विजयादशमी मनाते हैं। श्रद्धालु रश्मि कहती हैं कि आज के दिन घर में उत्सव का माहौल रहता है। साफ-सफाई के बाद नववस्त्र पहनकर रसगुल्ला और मछली खाने की परंपरा है।
इस अवसर पर देवी को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं अनोखे ढंग से उलूक ध्वनि निकालती हैं, जो उल्लू के आवाज की तरह होता है।मान्यता है कि उल्लू, माता लक्ष्मी की सवारी है, तो उनके वाहन अपने आपको मानकर इनकी आराधना वो करती हैं।श्रद्धालु स्वाति कहती हैं कि उलुक ध्वनि से ही मां का आगमन होता है और उसी से गमन। हमारे लिए मां का आगमन और गमन दोनों महत्वपूर्ण है। श्रद्धालु कहती हैं कि आज के दिन सिंदूर खेला हर विवाहित महिलाओं के लिए खास है।माँ के आशीर्वाद स्वरूप हम इसे ग्रहण करते हैं, जो हमें अखंड सौभाग्य के रूप में आशार्वाद मिलता है।