अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस:बिना चेयरमैन व सदस्य के 20 माह से झारखण्ड मानवाधिकार आयोग, 600 से अधिक मामले लंबित
–चेयरमैन ही कर सकते है मामलों की सुनवाई, 20 महीने से चेयरमैन व सदस्यों के नहीं रहने से लंबित पड़े है मामले, हर महीने आ रहे है 30 से 35 आवेदन
राँची।आज यानि 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस है। झारखण्ड के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा व न्याय दिलाने के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 17 जनवरी 2011 को किया गया। यह एक वैधानिक संगठन है, जो झारखण्ड राज्य के लिए “भारत के मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993” के अनुसार बनाया गया है,जिसका उद्देश्य भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में उल्लिखित राज्य सूची और समवर्ती सूची में उल्लिखित विषयों के लिए मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना है। लेकिन आयोग पिछले 20 माह से बिना चेयरमैन व सदस्यों के है। मार्च 2023 के बाद से आयोग में ना कोई चेयरमैन आया ना ही दो सदस्यों का चयन हो सका। आयोग के सचिव का भी पद खाली है। इसका नतीजा यह है कि आयोग में कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। हर महीने झारखण्ड राज्य मानवाधिकार आयोग में 30 से 35 मामले आ रहे है। पिछले 20 माह से आयोग में चेयरमैन व इसके सदस्यों के नहीं होने की वजह से आयोग में 600 से अधिक मामले तो आए, लेकिन किसी भी मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी है। सभी मामले लंबित पड़े हुए है।
पुलिस कस्टडी में मौत या एनकाउंटर में मौत जैस मामलों में पीड़ित आते है आयोग
राज्य मानवाधिकार आयोग में ऐसे गंभीर मामले जब किसी की पुलिस कस्टडी में मौत हो जाती है या फिर एनकाउंटर में मौत होती है। तो इन गंभीर मामलों में पीड़ित परिवार आयोग की शरण में जाता है। झारखण्ड में आयोग में पूर्णकालिक अध्यक्ष के नहीं होने की वजह से ऐसे गंभीर मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या तो सीधे संज्ञान ले रहा है या फिर पीड़ित परिवार एनएचआरसी में आपने आवेदन जांच के लिए भेज रहे है।
धुर्वा स्थित कार्यालय में वर्तमान में 15 कर्मी, सभी चेयरमैन के इंतजार में
झारखण्ड राज्य मानवाधिकार आयोग का कार्यालय धुर्वा सेक्टर थ्री में है। वर्तमान में आयोग में 15 कर्मी व अधिकारी है। इसमें तीन चार ही स्थायी कर्मी है। शेष अनुबंध कर्मी है। इनकी भी पीड़ा यह है कि आयोग में चेयरमैन, सेक्रेट्री व दो सदस्यों के नहीं होने से वे पूरी तरह काम नहीं कर पा रहे है। जो मामले आयोग में आते है वह सिर्फ रजिस्टर में चढ़ जाता है। पिछले 20 माह से आयोग के इन अधिकारियों के लिए आवंटित वाहनों का भी उपयोग नहीं हो रहा था। जो रख रखाव के अभाव में पड़े पड़े खराब हो रहे थे। जिसे आयोग के कर्मियों ने यह बोल कर वाहनों को वापस कर दिया है कि इनका अधिकारियों व सदस्यों के नहीं होने से उपयोग नहीं हो रहा है।
आयोग के कार्य और शक्तियां
-मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कोई मामला यदि आयोग के संज्ञान में आता है या शिकायत के माध्यम से लाया जाता है तो आयोग को उसकी जांच करने का अधिकार है।
-इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
-आयोग किसी भी जेल का दौरा कर सकता है और जेल के बंदियों की स्थिति का निरीक्षण एवं उसमें सुधार के लिये सुझाव दे सकता है।
-आयोग मानव अधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य भी करता है।
-आयोग प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों और अन्य माध्यमों से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकारों से जुड़ी जानकारी का प्रचार करता है और लोगों को इन अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्राप्त उपायों के प्रति भी जागरूक करता है।
-आयोग के पास दीवानी अदालत की शक्तियां हैं और यह अंतरिम राहत भी प्रदान कर सकता है।