….और माँ की मन्नतें रह गई अधूरी, शव निकलते ही फटा कलेजा;एक साथ उठी दोनों की अर्थी…
धनबाद।झारखण्ड के धनबाद जिले के सुदामडीह थाना क्षेत्र के बिरसा पुल समीप मोहलबनी घाट पर रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ था। जिसमें पांच दोस्त पानी के तेज बहाव में बह गए थे।तीन युवकों को स्थानीय लोगों ने किसी तरह बचा लिया। लेकिन दो युवक पानी के बहाव में बहकर डूब गए।दोनों युवकों की पहचान कांड्रा के चुकड़ीपाड़ा बस्ती निवासी सेल कर्मी दयानंद मल्लिक का इकलौता पुत्र 21 वर्षीय अविनाश मल्लिक उर्फ राहुल और रेल कर्मी दुर्गा मल्लिक का इकलौता पुत्र शिवम मल्लिक के रूप में हुआ था।
यह है घटना
रविवार को पांच दोस्त सुरुंगा निवासी दिवस कुंभकार, सुमित कुंभकार, कांड्रा निवासी प्रोमित सिंह, अविनाश मल्लिक उर्फ राहुल व शिवम मल्लिक दामोदर नदी में स्नान करने गए थे। इस दौरान नदी के तेज बहाव में अविनाश व शिवम बह गया।स्थानीय लोगों ने तीन युवकों को बचा लिया। जबकि अविनाश मल्लिक का शव तीन घंटे बाद सितानाला दामोदर नदी घाट से बरामद हुआ। शिवम मल्लिक की तलाश जारी रही। लेकिन रात तक उनका कोई पता नहीं चला। ग्रामीणों ने पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ विरोध जताया व सड़क जाम कर दिया।पुलिस ने समझा-बुझाकर जाम हटाया। बोकारो के खेतको पेटरवार से गोताखोर की आई टीम ने नदी में लाइट लगाकर खोजबीन की। लेकिन रात के अंधेरे के कारण प्रयास असफल रहा।सोमवार की सुबह पांच बजे से पेटरवार के गोताखोरों ने ऑक्सीजन की मदद से नदी में उतरे। घंटों खोजबीन की। किंतु शिवम का कोई आता पता नहीं चला। तभी एनडीआरएफ की टीम सितानाला घाट पहुंची।घटना की पूरी जानकारी लेने के बाद टीम नदी में खोजबीन के लिए तैयारी ही शुरू किया था कि सुबह करीब सवा नौ बजे बिरसा पुल पर खड़े लोगों ने नदी में शिवम मल्लिक का शव देखा और शोर मचाया।लोगों ने मिलकर शव को नदी से बाहर निकाला। जिसे एनडीआरएफ की टीम ने बैग में सुरक्षित भरकर स्ट्रेचर से बाहर ले गए। पुलिस ने शव को जामाडोबा टाटा अस्पताल ले गए। जहां परिजनों व ग्रामीणों के आग्रह पर शव उन्हें सौंप दिया गया।
दोनों भाइयों का शव पहुंचते ही कांड्रा बस्ती में कोहराम मच गया। परिजनों के रुदन क्रंदन से हर आंखें नम हो गई। दोनों भाई हमेशा एक दोस्त की तरह रहते थे। दोनों का एक साथ घर से अर्थी उठी।अंतिम संस्कार एक साथ चासनाला फिल्टर प्लांट समीप दामोदर नदी घाट पर किया गया। मुखाग्नि बड़े पिता फूलचंद्र मल्लिक उर्फ फ़ुचू ने दी। घटना से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
और मां की मन्नतें रह गई अधूरी…
शिवम की मां पिंकी देवी बेटे की सलामती की आस लिए दामोदर नदी व श्मशान काली मां के सामने हाथ जोड़ खड़ी थी। साथ थी अविनाश की मां चंपा देवी व बड़ी मां रूमा देवी। महिलाएं मंदिर में आंखों में चिंता, आंसू, होठों पर बुदबुदाते हुए मंत्र, हाथ जोड़कर प्रार्थना करती रही।
हे गंगा मईया… हे मां काली… हमारे बच्चों की रक्षा करना। ये मन्नतें… सिर्फ अपने लाल की सलामती के लिए थी। रविवार की रातभर दामोदर नदी के किनारे बैठी रहीं। नजरें नदी की लहरों में बेटे का चेहरा खोज रही थी।
पिंकी देवी व रूमा देवी हाथ जोड़कर आकाश की ओर देखती हैं। रातभर बिना कुछ खाए-पिये मां से मन्नतें मांगती रही। हर पल एक उम्मीद, एक आस थी कि बेटा लौट आएगा।
शायद सुबह कुछ अच्छा संदेश लेकर आएगा। सोमवार की सुबह महिलाएं दामोदर में स्नान करती हैं फिर श्मशान काली के दरबार जाती है। फिर से वही अरजियां, वही उम्मीद… हे मां, मेरे लाल की रक्षा करना। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। जैसे ही बेटे का शव देखा… सबकुछ टूट गया।
मां, पिता, बड़े पापा, बड़ी मां… हर किसी की आंखों से बहते आंसुओं में बसी थी एक ही चीख हमारा बेटा…! एक मां की मन्नत अधूरी रह गई। एक घर का चिराग बुझ गया। और पीछे रह गई सिर्फ यादें, सिसकियां व सन्नाटा।
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