Ranchi:आयुष्मान में गड़बड़ी कर 1.10 करोड़ की धोखाधड़ी,अस्पताल प्रबंधन ने टीपीए सीनियर एग्जीक्यूटिव पर कराया केस दर्ज

आयुष्मान में गड़बड़ी कर 1.10 करोड़ की धोखाधड़ी,अस्पताल प्रबंधन ने टीपीए सीनियर एग्जीक्यूटिव पर कराया केस दर्ज

–82 मरीजों के दावे पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किए, उन सभी से इलाज के नाम पर लिए पैसे, आरोपी के दराज से कई फर्जी रसीदें भी मिलीं

राँची।आयुष्मान में गड़बड़ी कर 1.10 करोड़ की चोरी व धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। इस मामले में ऑर्किड मेडिकल सेंटर में सीनियर एग्जीक्यूटिव टीपीए कामाख्या दुबे पर घोटाले का आरोप लगा है। उनके विरुद्ध अस्पताल के एजीएम एडमिन हृदय प्रसाद लक्ष्मण ने लालपुर थाने में केस दर्ज कराया गया है। दर्ज प्राथमिकी के अनुसार दुबे ने मरीजों के बिलों को पोर्टल पर अपलोड नहीं किया और फर्जी रसीदें बनाकर मरीजों से पैसे वसूले। इस घोटाले से अस्पताल को 1.10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कामाख्या दुबे अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के मरीजों के बिल प्रसंस्करण के लिए जिम्मेदार थे। जुलाई 2023 से मार्च 2025 तक अस्पताल को किसी भी दावे का भुगतान नहीं मिला। जब दुबे से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने तकनीकी समस्या का हवाला देकर देरी की बात कही। उन्होंने प्रबंधन को भरोसा दिलाया कि दावे पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं और जल्द ही भुगतान मिलेगा।

आयुष्मान भारत के कार्यकारी निदेशक से संपर्क किया तो जानकारी मिली

अस्पताल के जनरल मैनेजर संतोष सिंह ने जब आयुष्मान भारत के कार्यकारी निदेशक से संपर्क किया तो जानकारी मिली कि 82 मरीजों के दावे पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किए। जांच में कामाख्या दुबे के दराज से कई फर्जी रसीदें मिलीं, जिनमें मरीजों के नाम और उनसे ली गई रकम का विवरण था। इन रसीदों को असली बताकर मरीजों से पैसे वसूले गए। अस्पताल ने जब कुछ मरीजों से संपर्क किया, तो गोरख शर्मा और गीता देवी के परिजनों ने बताया कि कामाख्या दुबे ने उनसे इलाज के नाम पर 50,000 और 18,000 रुपये लिए थे। दुबे ने उन्हें छूट देने का झांसा दिया था, लेकिन यह रकम अस्पताल में जमा नहीं की गई।

बॉयोमिट्रिक मशीन का भी किया गलत इस्तेमाल

दर्ज प्राथमिकी के अनुसार जांच में पता चला कि अस्पताल ने 7,000 रुपये में जो बायोमेट्रिक मशीन खरीदी थी, उसे भी दुबे ने अपने पास रख लिया और गलत तरीके से इस्तेमाल किया। 10 मार्च 2025 को पूछताछ में पहले तो दुबे ने पैसे लेने से इनकार किया, लेकिन बाद में स्वीकार किया कि उसने मरीजों से पैसे लिए और अस्पताल में जमा नहीं किए। उसने यह भी माना कि जानबूझकर मरीजों के बिल अपलोड नहीं किए, जिससे अस्पताल को 58 लाख रुपये का नुकसान हुआ। बाद में जांच में यह नुकसान 1.10 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। फिर कामाख्या दुबे ने कबूलनामे के बाद अस्पताल आना बंद कर दिया और फोन भी नहीं उठा रहा है। जांच में यह भी सामने आया कि उसने मरीजों से फर्जी दस्तावेज बनाकर पैसे लिए।

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